जयपुर। लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। यह साबित कर दिखाया है सीकर जिले के बरसिंहपुरा गांव के निवासी अंकित चौधरी ने। अंकित का बचपन का सपना था कि वह इंजीनियर बने। इसके लिए अंकित ने जेईई की पढ़ाई शुरू कर दी और जेईई मेन पास क्लियर कर लिया।
अंकित ने एनडीए का ऑप्शन चुना
जेईई एडवांस और एनडीए का एग्जाम नजदीक होने की वजह से कॅरियर का एक ऑप्शन चुनने का फैसला लेने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसे में अंकित ने अपने सपनों की बजाय पिता के सपनों को पूरा करने का सोचा। आखिरकार अंकित ने एनडीए का ऑप्शन चुना। पहले ही अटेम्पट में अंकित ने एनडीए का एग्जाम क्लियर कर लिया। अंकित ने तीन साल के प्रशिक्षण में पहली रैंक हासिल कर गोल्ड मेडल जीता है। खास बात है कि अंकित चौधरी ने जेईई मेन की कोचिंग जरूर की, लेकिन एनडीए की कोई कोचिंग नहीं की।
गंभीर बीमारी से पिता का निधन
एनडीए के सिलेबस के आधार पर उन्होंने घर पर रहकर ही पढ़ाई पूरी की। इसके बाद भी पहले ही प्रयास में उन्होंने एग्जाम को क्लियर कर लिया। दोनों परीक्षाओं के सिलेबस में कुछ टॉपिक कॉमन होने के कारण उन्हें इस चीज का काफी फायदा भी मिला। अंकित के पिता सुल्तान सिंह ने भी 17 साल तक 11 राजपूताना राइफल्स में नायक के पद पर सेवाएं दी है। सेना से रिटायर होने के बाद राजस्थान पुलिस में भी कांस्टेबल के पद पर चयन हो गया, लेकिन गंभीर बीमारी के कारण से 2016 में उनका निधन हो गया।
मां स्कूल में टीचर है
अंकित की मां सरोज देवी तृतीय श्रेणी की स्कूल में टीचर है। वहीं छोटा भाई अंशु फिलहाल एम्स नागपुर से डॉक्टरी की पढ़ाई में कर रहा है।