जयपुर। आमलकी एकादशी 10 मार्च को है। होली और महाशिवरात्रि के बीच में पड़ने वाली इस एकादशी को आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन […]
जयपुर। आमलकी एकादशी 10 मार्च को है। होली और महाशिवरात्रि के बीच में पड़ने वाली इस एकादशी को आंवला एकादशी और रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व होता है।
आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आवंले के पेड़ का खास तरीके से इस्तेमाल किया जाता है। यह व्रत उत्तम स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए रखा जाता है। इस दिन मंदिर में आंवला का पेड़ लगाने की मान्यता होती है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष की पूजा और उसका सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। साथ ही भाग्य अच्छा होता है। आइए जानते है कि मूहुर्त और पूजा विधि।
आमलकी एकादशी 10 मार्च, सोमवार को मनाई जाएगी। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 मार्च, रविवार सुबह 7 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी। वहीं इसकी शुरूआत 10 मार्च, सोमवार सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर जाकर समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक आमलकी एकादशी 10 मार्च को मनाई जानी है। आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को रखा जाएगा। आमलकी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं। धर्मग्रंथों के मुताबिक इस व्रत को करने से सैकड़ों तीर्थयात्राओं और यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे जीवन के सभी दुख दूर होते हैं। व्रत करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और साथ ही करियर कारोबार में आगे बढ़ने के प्रयासों को सफलता मिलती है।