Story of Bangladeshi Entrying into India: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहांबांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से सीमा को पार कर भारत में प्रवेश कर रहे हैं। दलालों की मदद से तीन से पांच हजार रुपये में बॉर्डरपार करने और 150 रुपये में आधार कार्ड बनवाने का खुलासा हुआ […]
Story of Bangladeshi Entrying into India: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहांबांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से सीमा को पार कर भारत में प्रवेश कर रहे हैं। दलालों की मदद से तीन से पांच हजार रुपये में बॉर्डरपार करने और 150 रुपये में आधार कार्ड बनवाने का खुलासा हुआ है।
गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के निर्देश पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ चलाए गए अभियान के तहत पकड़े गएबांग्लादेशियों से अहम खुलासे हुए हैं। बांग्लादेशी नागरिक अवैध तरीके से दलाल के जरिए रात के अंधेरे में बॉर्डर पार करने औरबॉर्डर पार करवाने के लिए दलालों ने पैसे लिए। इसके बाद आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बनवाकर मजदूरी पर लगाया।
झुंझुनूं के मेघपुर गांव में सात बांग्लादेशी नागरिकों के पकड़े जाने के बाद पुलिस और खुफिया एजेंसी अलर्ट हुईं। बांग्लादेशीनागरिकों के पकड़े जाने के बाद सीआईडी और पचेरी पुलिस की संयुक्त टीमों ने इस इलाके में सर्च अभियान शुरू किया तो जानकारी के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिकों के क्षेत्र में छिपे होने की आशंका को देखते हुए टीम ने नावता गांव स्थित एक ईंट–भट्ठे परदबिश दी। पुलिस ने RK ईंट–भट्ठे पर 28 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा।
पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों ने बताया कि दलालों का नेटवर्क बॉर्डर पार कराता है। नावता गांव के ईंट–भट्ठे पर पकड़े गएबांग्लादेशी नागरिकों ने बताया कि उन्होंने दलाल मुकुंद और सफीक उल के जरिए बॉर्डर पार कर भारत में घुसे। पकड़े गए बांग्लादेशीनागरिकों ने बताया कि दोनों दलाल वर्षों से बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ करवाने वाले गिरोह का हिस्सा हैं। इन्होंने बताया किदलाल हर व्यक्ति से बॉर्डर पार करवाने के लिए तीन से पांच हजार रुपये वसूलते हैं। दलाल रात के अंधेरे में नोदाबास जैसे सीमाईइलाकों से भारत में एंट्री दिलाते हैं।
इसके बाद किसी ने 50 तो किसी ने 150 रुपये में आधार कार्ड भी बनवाया। कुछ ने पैन कार्ड भी बनवा लिए, ये सिर्फ कुछ मजदूर ही नहीं हैं। यह पूरी एक सुरक्षा चूक की कहानी है। जब किसी विदेशी को भारत में आधार कार्ड मिल जाता है। पकड़े गए बांग्लादेशीनागरिकों ने कबूल किया कि वे पिछले 10 साल से भारत में रह रहे थे, उन्हें अलग–अलग भट्ठों पर काम दिलवाया जाता रहा। इनकेबच्चे भी यहीं जन्मे, इतने वर्षों तक किसी को भनक तक नहीं लगी, यह सिस्टम की सबसे बड़ी असफलता है।
यह मामला एक बार फिर भारत–बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर रहा है। दलालों का यह नेटवर्कन केवल अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन रहा है। इस तरह के मामलों मेंसख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में भारत–बांग्लादेश सीमा पर अवैध घुसपैठ को रोका जा सके।