जयपुर: राजस्थान में विधानसभा का चुनाव होने में सिर्फ कुछ ही महीने शेष है। लेकिन यहां मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान होते दिख रहा है। राजस्थान में जाट मुख्यमंत्री की मांग जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेस के जाट नेताओं ने विधानसभा चुनाव से करीब सात महीने पहले किसी जाट नेता को मुख्यमंत्री बनाने की मांग को लेकर सक्रियता बढ़ाई है। अगले कुछ दिनों में जाट नेता पार्टी आलाकमान से मुलाकात का समय मांग सकते है।
जनसंख्या के लिहाज से जाट समाज बड़ा
राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के पूर्व नेता और राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा, जाट सीएम बनाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में जनसंख्या के लिहाज से जाट समाज बड़ा है। राजनीतिक तौर पर यह समाज भी है। कई सालों से यह समाज जाट मुख्यमंत्री की मांग करता चला आ रहा है। अब समय आ गया है कि चुनाव से पहले प्रदेश में किसी जाट नेता को सीएम बनाया जाए। जाट समाज अपना हक और अधिकार लेकर रहेगा।
पायलट को रोकने के लिए जाट सीएम की मांग
विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले जाट मुख्यमंत्री का मुद्दा उठाए जाने को लेकर प्रदेश में कांग्रेस की आंतरिक राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। डूडी पहले सचिन पायलट के साथ थे लेकिन अब दोनों के बीच दूरियां काफी बढ़ चुकी हैं। डूडी अब सीएम गहलोत के करीब आ गए हैं।
आपको बता दें कि पायलट खेमा लगातार सीएम की कुर्सी पर अपना दावेदारी पेश कर रहा है। ऐसे में पार्टी के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि यह संभव है कि पायलट को रोकने के लिए जाट मुख्यमंत्री की मांग उठाई जा रही है। गहलोत खेमे के लिए पायलट को रोकने के लिए जाट सीएम की मांग को एक काउंटर रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। गहलोत खेमे की रणनीति हो सकती है कि जाट सीएम की मांग उठने से किसी नये विवाद से बचने के लिए पायलट सीएम बदले जाने को लेकर आलाकमान विचार ही नहीं करेगा।
जातिगत जनगणना की मांग
डूडी जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुई कहा कि पार्टी के अंदर लगातार हम इस मांग को उठाते रहे हैं। जातिगत जनगणना की मांग करते हुए डूडी ने कहा कि जाट समाज अपने अधिकार से कब तक दूर रहेगा। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।