जयपुर: राजस्थान की जयपुर शहर में अब लोगों के जेब पर बढ़ने वाला है बोझ। एक तरफ गहलोत सरकार प्रदेश में ‘महंगाई राहत कैंप’ के जरिए लोगों को महंगाई से राहत दिलाने की बात कर कर रही है तो दूसरी ओर महंगाई के दौर में जयपुर के ग्रेटर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सफाई की सेवा के बदले निगम को चार्ज चुकाना पड़ेगा। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के बदले निगम ने अब यूजर चार्ज की शुरूआत इसी माह में करने जा रहा हैं। ग्रेटर क्षेत्र के मुरलीपुरा और मालवीय नगर जोन में सबसे पहले कॉमर्शियल एरिया और उसके बाद आवासीय कॉलोनियों में भी लोगों से यूजर चार्ज वसूला जाएगा। हालांकि यूजर चार्ज की दरों को लेकर पार्षदों ने असंतोष भी जताया हैं।
डीएलबी ने निर्धारित किए अलग-अलग चार्ज
डीएलबी (Department Of Local Bodies) ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए वैसे तो अलग-अलग चार्ज निर्धारित किए है, जिनमें अपनी सहूलियत के मुताबिक ये शुल्क वसूला जा सकता हैं। कॉमर्शियल प्रोपर्टी संचालकों से ये शुल्क 250 से लेकर 5 हजार रुपए तक हो सकता हैं। निगम ग्रेटर एरिया में ये वसूली फिलहाल मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन एरिया में संचालित कॉमर्शियल प्रोपर्टी से होगी। इन दोनों जोन एरिया में कुल 58,398 प्रोपर्टी ऑनर्स से वसूल की जाएगी क्योंकि इन दो जोन एरिया में ही अभी आरएफआईडी (Radio Frequency Identification) कार्ड लगाए गए है।
निगम द्वारा लगाए गए आरएफआईडी कार्ड
ग्रेटर निगम द्वारा लगाए गए आरएफआईडी (Radio Frequency Identification) कार्ड के जरिए रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है कि कचरा उठाने के लिए आज गाड़ी पहुंची है या नहीं। इधर निगम की आय बढाने के लिए भले ही यूजर चार्ज संजीवनी बूटी का काम करेगा, लेकिन निगम में नेता प्रतिपक्ष राजीव चौधरी का कहना है कि शुल्क काफी अधिक होने से लोगों द्वारा वहन कर पाना मुश्किल हैं। ऐसे में दरें आम-जन की सहूलियत भरी होनी चाहिए। यह बात तो तय है कि यूजर चार्ज की वसूली से निगम की तंगहाली तो दूर होगी, लेकिन चुनावी साल में महंगाई से राहत दिलाने वाली गहलोत सरकार में यह फॉर्मूला कितना कारगर और कामयाब हो सकेगा यह फिलहाल देखने लायक होगा।