ज्येष्ठ माह आज से आरंभ हो गया है. इस महीने में निराजल एकादशी, गंगा दशहरा समेत कई व्रत- त्यौहार शामिल होंगे। वहीं इस महीने में जल दान और पूजा- पाठ करना काफी फलदाई होता है.
ज्येष्ठ माह की हुई शुरुआत
आपको बता दें कि हिन्दू पंचांग के तीसरे महीने को ज्येष्ठ माह कहा जाता है. इसे वैशाख मास के पूर्ण होते ही शुरू किया जाता है. जेष्ठ महीने में गर्मी अपने चरम सीमा पर होती है क्योंकी इस महीने सूर्य अधिक शक्तिशाली हो जाता है जिस वजह से अत्यधिक गर्मी पड़ती है. सूर्य के श्रेष्ठता की वजह से इस महीने को जेष्ठ माह कहते है. यह पूरा महीना सूर्य देवता को समर्पित होता है. इस माह में वरुण देव और सूर्य देव की पूजा करना काफी फलदाई सिद्ध होता है. दरअसल भगवान सूर्य के तेज प्रकाश से नदी और तालाब सूख जाते हैं. यहीं कारण है कि इस महीने में जल- दान का महत्व होता है.
दान का होता है विशेष महत्व
इस महीने में भगवान् की भक्ति और दान-धर्म करने से ग्रह दोष से मुक्ती मिल जाती है. हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वरुण देव, सूर्य देव के साथ हनुमान जी की भी उपासना इस महीने में करना फलदाई साबित होता है. इस वर्ष जेष्ठ महीना 6 मई से शुरू होकर 4 जून तक रहेगा। वहीं 5 जून से आषाढ़ के महीने की शुरुआत हो जाएगी। जेष्ठ माह में नारद जयंती, निराजल एकादशी समेत वट सावित्री और गंगा दशहरा जैसे महत्वपूर्ण त्यौहार होते हैं.
जल दान का होता है अधिक महत्त्व
इस महीने में न सिर्फ इंसानों को अपितु पशु-पक्षियों की प्यास बुझाना सर्वश्रेष्ठ काम माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार जेष्ठ महीने में नल लगवाना, प्याऊ लगाना, तालाब का संरक्षण करना फलदाई होता है.
शनि भगवान का हुआ था जन्म
इसी महीने गंगा मां का धरती पर अवतरण हुआ था. इसलिए इस महीने में गंगा दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है. वहीं इसी महीने श्रीराम भगवान हनुमान से मिले थे. इसी महीने में दंड देने वाले भगवान शनि का जन्म हुआ था. वहीं यह महीना भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना बताया जाता है.