Sunday, November 24, 2024

राजस्थान में क्यों किया जा रहा रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल 2023 का विरोध?

जयपुर: अजमेर के ब्यावर में गैर सरकारी स्कूल एवं जनकल्याण संस्थान बिल को लागू नहीं करने और वर्चुअल मान्यताएं दिए जाने पर रोक लगाने की मांग की है. एक्ट के विरोध में पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करते हुए विरोध दर्ज करवाया. संस्था के प्रदेशाध्यक्ष ने मीडिया से बताया कि सरकार गलत तरीके से स्कूलों पर दबाव बनाना चाहती है. जिसे हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे.

संस्थान ने सरकार पर ये आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए विनियामक प्राधिकरण का गठन करने का मन बना रही है. सरकार के इस नियम के का खर्चा उठाने के लिए सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूलों की 1 प्रतिशत फीस वसूल करेगी.

उन्होंने वसूल की जाने वाली राशि को जजिया कर का नाम देते हुए बताया कि निजी विद्यालयो के खिलाफ ये दमनकारी नीति है. उन्होंने आगे बताया कि निजी शिक्षण संस्थाओं के लिए पहले से ही चार एक्ट लगाए गए हैं, जिनमें गैर सरकारी शैक्षिक संस्था कानून 1989, 1993, 2009 आरटीई एक्ट एवं फीस विनियम एक्ट 2016 लागू हैं. ऐसे में अब फिलहाल किसी भी काम करने कि जरूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि इन प्रस्ताविक नियमों और शर्तों से इंस्पेक्टर राज हावी होगा साथ ही भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलेगा. वहीं प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे संस्था प्रवक्ता कुलदीपसिंह राठौड़ ने बताया कि शिक्षण सत्र 2022-23 अपनी समाप्ति की ओर है. यहां तक कि कई सीबीएसई संबंध विद्यालयों ने तो फाइनल परीक्षाएं तक ले ली हैं. ऐसे में इन सारे नियमों के लागू होने के कारण स्थिति खराब होने के आसार हैं.

उन्होंने आगे कहा कि दूसरी ओर सरकार ने प्री-प्राईमरी कक्षाओं में 25 प्रतिशत आरटीई नियम के तहत प्रवेश देने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है, जिसके अनुसार पहली क्लास की बच्चों का खर्चा भी सरकार वहन नहीं करेगी.

वहीं, बताया जा रहा है कि अब तक कई विद्यालयों का सरकार ने पुनर्भरण राशि तक का भुगतान नहीं किया है. जो विद्यालय के हितों के प्रति तुगलकिया फरमान है. ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालक इस बिल का पुरजोर विरोध करेंगे. चाहे इसके लिए सड़क पर ही क्यों ना उतरना पड़े. संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि अगर सरकार ने समय रहते इन प्रावधानों को नहीं हटाया, तो निजी विद्यालय संचालकों द्वारा आंदोलन को मजबूर हुआ. इसके बाद भी जरूरत पड़ने पर न्यायालय की शरण लेने पर भी मजबूर होना पड़ेगा.

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