भरणी-कृतिका नक्षत्र, शानदार योग में ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या शुक्रवार को वट पूजन-शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी। इस मौके पर शनि जयंती का संयोग होने से शनिदेव की आराधना के साथ ही महिलाएं व्रत रखकर पूजा अर्चना करेंगी।
19 मई शनि देव का रहेगा सहयोग
आपको बता दें कि भरणी-कृतिका नक्षत्र, शानदार योग में ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या शुक्रवार को वट पूजन-शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी। इस मौके पर शनि जयंती का संयोग होने से शनिदेव की आराधना के साथ ही महिलाएं व्रत रखकर पूजा अर्चना करेंगी।
क्यों रहेगा खास ?
शस्त्रों के अनुसार इस दिन वट सावित्री व्रत करने से पति की दीघार्यु के साथ ही संतान की सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। महिलाएं वट की पूजा के साथ जल अर्पण करने के साथ ही परिक्रमा करने के साथ 108 बार चारों ओर बंधन बनाकर अर्चना करती हैं। शास्त्रानुसार वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने व्रत से मृत पति को पुन: जीवित कराया था। तब से यह वटसावित्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जानकारी के मुताबिक ग्रहों के न्यायाधिपति शनि जयंती के पर्व पर कल मेष राशि में चार ग्रह यानि चंद्र, बुध, गुरु और राहु विराजमान रहेंगे। साथ ही मंगल-शनि का इस समय लगभग 58 साल तक मंगल-शनि का षड़ाश्टक योग रहेगा। शनिश्चरी अमावस्या पर साढ़ेसाती से मुक्ति पाने के लिए जातक विभिन्न उपाय कर सकते हैं। वर्तमान में साढ़ेसाती मकर, कुंभ और मीन राशियों को प्रभावित कर रही है जबकि कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों की ढैय्या चल रही है।
राशि के अनुसार क्या करें उपाय ?
मेष राशि की बात करें तो हनुमान चालीसा या सुन्दरकांड का पाठ करें, वृषभ राशि वालों को शनि देव के नाम का जप करना लाभदाई साबित होगा, मिथुन राशि वालों को काली उड़द शनिदेव को अर्पित करना होगा। कर्क राशि वालों को पुरातन संस्कृत शास्त्र में वर्णित है कि राजा दशरथ ने शनि स्तोत्र को रचना किया था। इसलिए आप शनि स्तोत्र का उच्चारण कर सकते हैं। सिंह राशि वालों को तेल और सिंदूर भगवान हनुमान को चढ़ाना शुभ होगा, कन्या राशि वालों को शनि देव के मंत्रो का जाप करना चाहिए और उपवास रखने से सारे काम बन जाएंगे, तुला राशि वालों को सरसो का तेल शनिदेव को अभिषेक करना चाहिए।