Advertisement
  • होम
  • राज्य
  • RAJASTHAN : राजस्थान नहीं बनेगा चीतों का नया घर, वन्यजीव प्रेमी हुए दुखी

RAJASTHAN : राजस्थान नहीं बनेगा चीतों का नया घर, वन्यजीव प्रेमी हुए दुखी

JAIPUR. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाए गए चीते अब राजस्थान नहीं लाए जाएंगे। राजस्थान नहीं बनेगा चीतों का आशियाना दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पूर्व चिता जाहिर करते हुए राजस्थान सहित अन्य जगहों पर जंगल तलाशने की बात कही थी. उसके बाद से यह चर्चा का […]

Advertisement
The territory of Ranthambore and Sariska is suitable for tigers, but cheetahs cannot be kept here.
  • May 26, 2023 2:24 am IST, Updated 2 years ago

JAIPUR. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाए गए चीते अब राजस्थान नहीं लाए जाएंगे।

राजस्थान नहीं बनेगा चीतों का आशियाना

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पूर्व चिता जाहिर करते हुए राजस्थान सहित अन्य जगहों पर जंगल तलाशने की बात कही थी. उसके बाद से यह चर्चा का विषय बन गया था कि चीतों को कूनों के जंगल से राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा सकता है. इस खबर से वन्यजीव प्रेमियों में खुशी का माहौल था. लेकिन अब किसी भी सूरत में राजस्थान के जंगल में चिता को शिफ्ट नहीं किया जाएगा क्योंकि राजस्थान का भूगोल, जंगल, जलवायु चीतों के लिए अनुकूल नहीं है.

वन विभाग के सीनियर ने दी जानकारी

वन विभाग के सीनियर ने बताया कि चीतों की शिफ्टिंग को लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है. जानकारी के अनुसार राजस्थान में चीते को लाने के संबंध किसी भी तरह का प्रस्ताव नहीं है. वहीं वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान में चीतों को बसाए जाने का कॉपी प्रोजेक्ट विचारधीन नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ भी वन विभाग के स्तर पर नहीं चल रहा है.

क्यों राजस्थान नहीं बन सकता चीतों का नया घर ?

वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक राजस्थान के जंगल स्चिता फ्रेंडली नहीं है क्योंकी यहां उनके खाने के लिए पर्याप्त जानवर नहीं है और न ही यहां का तापमान चीतों के लिए अनुकूल है. ऐसे में राजस्थान के वन विभाग ने अभी तक चीतों को लाने का कोई प्लान नहीं बनाया है. दरअसल चीतों को घास का मैदान चाहिए होता है जो राजस्थान के किसी भी जंगल में उपलब्ध नहीं है. जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिमी एशिया या अफ्रीका के जंगलों में चीते घास के मैदान वाले क्षेत्र में ही रहते हैं. वहीं दूसरा कारण यह भी है कि तेंदुए की भरमार है. चीता का तेंदुआ से अगर आमना-सामना होता है तो चीता तेंदुआ का मुकाबला नहीं कर सकता। वहीं शिकार करने में भी तेंदुए चीतों से आगे रहते हैं.

पर्याप्त भोजन नहीं है उपलब्ध

राजस्थान के जंगलों में ज्यादातर सांभर, जंगली सुअर, चीतल हिरन जैसे जानवर रहते है जिनका चीता शिकार नहीं कर पता है. वहीं जैसलमेर और बीकानेर के जंगलों में चिंकारा और हिरन पाए जाते हैं, चीते इनका शिकार आसानी से कर लेते हैं लेकिन यह जंगल केवल 5 से 10 वर्ग किलोमीटर में ही सीमित है. बेहद छोटे जंगल होने की वजह से वहां चीतों को बसाना संभव नहीं।


Advertisement