Friday, November 8, 2024

RAJASTHAN: राजस्थान विश्वविद्यालय ने निकाला एक नया कोर्स, धर्म की महत्ता को लेकर फैला रहा जागरूकता

JAIPUR: राजस्थान विश्वविद्यालय इन कार्यक्रमों की अपेक्षाकृत कम मांग के बावजूद जैन अध्ययन और पुरातत्व में डिप्लोमा और जैन दर्शन और संस्कृत में एक सर्टिफिकेट कोर्स लेकर आ रहा है.

जैन में डिप्लोमा करना अब संभव

आपको बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर और जैन स्टडीज की इंस्ट्रक्टर रश्मि जैन ने बताया कि इन पाठ्यक्रमों को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि उनका उद्देश्य समाज में धर्म के बारे में जागरूकता फैलाना और छात्रों को जैन दर्शन के सिद्धांतों के बारे में शिक्षित करना है।

इंटरमीटिंग फास्टिंग का दिया उदाहरण

जैन स्टडीज की इंस्ट्रक्टर रश्मि जैन ने इंटरमीटिंग फास्टिंग का उदाहरण देते हुए बताया कि इंटरमीटिंग फास्टिंग लोगों के बीच काफी प्रचलित है. जैन धर्म द्वारा पहले से ही प्राचीन परंपराओं के ज्ञान की ओर लौटने का सुझाव देता है. उन्होंने कहा कि जैन धर्म सूर्यास्त के बाद भोजन से दूर रहने की सलाह देता है.

सर्टिफिकेट कोर्स के लिए केवल तीन लोग

विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि इस साल विश्वविद्यालय में सर्टिफिकेट कोर्स में सात और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा में तीन छात्र हैं। जैन धर्म ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जहां कई धर्म धन में रुचि दिखाने के खिलाफ सलाह देते हैं, वहीं जैन धर्म धन के बढ़ने की जरुरत को स्वीकार कर बढ़ावा देता है.

जैन धर्म पूंजीवादी को देता है बढ़वा

उन्होंने हिंदू धर्म समेत अलग-अलग संस्कृति और धर्म पर जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर के 19वीं शताब्दी के अध्ययन का उल्लेख किया, जिसमें जैन धर्म को एक ऐसे धर्म के रूप में मान्यता दी गई थी जो अपने समान गुणों के कारण पूंजीवाद की भावना को बढ़ावा देता है।

विश्वविद्यालय अपभ्रंश देने की बना रहा योजना

बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय अपभ्रंश देने की बना रहा योजना बना रहा है. जिसका उद्देश्य विभिन्न जैन दर्शन संस्थानों में चल रहे अनुवाद कार्य के कारण अपभ्रंश में प्रशिक्षित विद्वानों की बढ़ती मांग को पूरा करना है। अपभ्रंश बोलियों के लिए एक शब्द है जो आधुनिक भारतीय भाषाओं से पहले बोली जाती थी।

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