Saturday, September 21, 2024

Rajasthan News: मामा और जीजा ने किया रिश्ते को तारतार, नाबालिग से बलात्कार पर कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा

सीकर: एक बार फिर रिश्ते को तारतार करने की खबर सामने आई है। 12 साल की मासूम के साथ बलात्कार के जुर्म में पोक्सो कोर्ट ने मामा और उसके जीजा को 20 साल के कठोर कारावास व 2 लाख 15 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है। न्यायधीश अशोक चौधरी ने मामले में तत्कालीन एसपी का रवैया भी नकारात्मक मानते हुए पुलिस महानिदेशक व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को उन पर कठोर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट के अनुसार 29 मई 2018 की रात उसकी नाबालिग बेटी को उसका मामा जीतू बहला-फुसला कर ले गया था। जब जीतू के नंबर पर बात की तो बेटी ने उन्हें गोवा लेकर आने की बात कही। जिसके बाद अब मामले की पुलिस में शिकायत की गई।

जीजा और मामा ने किया बलात्कार

रिपोर्ट के आधार पर जांच कर पुलिस ने नाबालिग को खोज लिया है। जिसके बयान में बताया गया कि रात को पेशाब करने उठी तब जीतू जबरन उसका मुंह बंद कर कोटपूतली ले गया था। जहां उसका जीजा राजेंद्र भी मौजूद था। दोनों ने एक झोपड़ी में ले जाकर सके साथ दुष्कर्म को अंजाम दिया। बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी जितेंद्र उर्फ़ जीतू और राजेंद्र सिंह दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। पीड़िता की पैरवी लोग अभियोजक कैलाश दान कविया ने की।

पुलिस का नकारात्मक रवैये पर कोर्ट सख्त

न्यायाधीश ने फैसले में पुलिस के नकारात्मक रवैये पर भी सख्ती दिखाई है। उन्होंने लिखा कि पीडि़ता को दस्तयाब करने के बाद जांच अधिकारी व थानाधिकारी की पीडि़ता की काउंसलिंग व उसके परिजनों को सहयोग करना चाहिए था। पर ऐसा नहीं हुआ।थाना स्तर पर बलात्कार पीडि़ताओं की काउंसलिंग के उचित साधन ही प्रतीत नहीं होते। जो विभागीय प्रभारी होते हुए एसपी के अपराधों के प्रति नकारात्मक नजरिये को दर्शाता है। इससे न्याय व्यवस्था चरमराने के साथ पीडि़तों का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। अपराधियों का हौसला भी बढ़ रहा है। लिखा कि आरोप पत्र पेश करते समय अनुमति की फौरी औपचारिकता पुलिस अधीक्षक जैसे जिम्मेदार अधिकारी ही नमूना बन गया है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक का दृष्टिकोण नकारात्मक प्रवृत्ति का होना दृष्टिगत होता है।

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