जयपुर: सहारा प्रमुख सुब्रत राय की एक बार फिर मुश्किल बढ़ने वाली है। राजस्थान राज्य उपभोक्ता सरंक्षण आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखकर कहा है कि इस प्रकरण में आईपीएस स्तर के ऑफिसर की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) गठित की जाए और आरोपियों को वारंट भेजा जाए। उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष जस्टिस […]
जयपुर: सहारा प्रमुख सुब्रत राय की एक बार फिर मुश्किल बढ़ने वाली है। राजस्थान राज्य उपभोक्ता सरंक्षण आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखकर कहा है कि इस प्रकरण में आईपीएस स्तर के ऑफिसर की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) गठित की जाए और आरोपियों को वारंट भेजा जाए। उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष जस्टिस देवेंद्र कच्छावा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने यह आदेश दिया है।
दरअसल इस मामले में राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के सदस्य अतुल कुमार चटर्जी ने जानकारी दी कि इससे पहले भी आयोग ने 19 सितंबर 2022 और तीन मार्च 23 को डीजीपी को निर्देश दिए थे। तब डीजीपी को निर्देश दिए थे कि वो उत्तर प्रदेश के डीजीपी से संपर्क कर आरोपियों को वारंट की तामील कराना सुनिश्चित करें और उन्हें गिरफ्तार कर पेश कराएं। जमानती वारंट की स्थिति में जमानत केवल तभी दी जाए, जब कोई हैसियतदार व्यक्ति आरोपी की जमानत देने को तैयार हो जाए। ऐसा नहीं हो तो उस जमानती को भी गिरफ्तार कर आयोग के समक्ष पेश किया जाए। लेकिन उन निरफेशों की पालना नहीं होने के कारण अब नए स्तर से निर्देश दिए गए हैं।
आपको बता दें कि साल 2005 में जयपुर में बीलवा में लोगों ने सहारा प्राइम सिटी में मकान बुक कराए थे। साल 2012 तक उन्होंने मकान की तय राशि भी कंपनी में जमा करवा दी, लेकिन उन्हें साल 2019 तक मकान का कब्जा नहीं दिया गया। इस पर उपभोक्ताओं ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अलग-अलग परिवाद पेश किए, जिस पर अक्टूबर, 2019 और उसके बाद आयोग ने वसूली गई राशि को ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए थे। लेकिन इन आदेशों की पालना नहीं हुई। मामले में आयोग ने पूर्व में सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहित अन्य के खिलाफ वारंट भी जारी किए थे।