जयपुर: 14 जनवरी आज के दिन जम्मू कश्मीर के पुलवामा हमले में हमने अपने वीर जवानों को खोया था. आज पुलवामा हमले की बरसी है. आज ही के दिन पुलवामा में आईडी ब्लास्ट में बस में सवार सेना के जवानों पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सेना के 40 जवान शहीद हुए थे. इन जवानों में राजस्थान जिले के भरतपुर के गांव सुन्दरावली के जीतराम गुर्जर भी शहीद हुए थे. शहीद जीतराम की शहादत को याद करके आज भी उनके माँ पिता की आंखे नम हो जाती हैं. उन्हें अपने बेटे की शहादत पर तो गर्व है लेकिन उनके दिल में बेटे को खोने को दर्द भी है. साथ ही उनका कहना है कि बेटा खोने के बाद जो वायदे प्रदेश की राज्य सरकार और उसके नेताओं ने किए थे उन वायदों को अभी तक नहीं निभाया गया है. शहीद जीतराम के भाई विक्रम ने बताया कि उनके भाई की शहादत के बाद केंद्र सरकार के पैकेज से उनके घर की छत तो पक्की हो गई, लेकिन सरकारी नौकरी का वायदा राज्य सरकार ने किया था वह आज तक पूरा नहीं हुआ है.
इसके साथ ही शहीद जीतराम के नाम से नगर कस्बे के कॉलेज का जो नामकरण होना था वह भी नहीं हो सका है. इसके साथ ही शहीद के भाई विक्रम ने बताया कि उस समय राजस्थान सरकार के मंत्री टीकाराम जूली व ममता भूपेश ने उन्हें सरकारी नौकरी देने का भरोसा दिलाया था. इस घोषणा की तमाम प्रचार-प्रसार भी किए गए थे, लेकिन आजतक उन्हें ना तो कोई नौकरी मिली ना ही वादे पूरे किए गए.
इसी तरह की बात शहीद जीतराम की मां ने भी कहा. शहीद के मां का गला इस बात को लेकर भर जाता है. साथ ही बात करते हुए वह शहीद जीतराम की दोनों बेटी सुमन व इच्छा को प्यार दुलार कर उनमें ही अपने बेटे को ढूंढने लगती हैं. जीतराम के पिता राधेश्याम ने कहा कि नेताओं ने वायदे तो बहुत किये लेकिन निभाये नहीं, नौकरी नहीं मिली. स्थानीय ग्रामीण नैम सिंह फौजदार ने भी इस बात में हामी भरी. उन्होंने कहा कि जो घोषणाएं नेता शहीद जीतराम की शहादत की दिन करके गए वह अभी तक अधूरी है. शहीद को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब घोषणाएं पूरी होंगी.