जयपुर: विश्व के महान वैज्ञानिकों में शुमार एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के जनक डॉ. विक्रम साराभाई की आज जयंती है। अंतरिक्ष में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए याद किया जाता है। इनकी दूरदर्शी सोच और कठिन परिश्रम की वजह से ही आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दिन-प्रतिदिन इतिहास रच रहा है।
सीएम गहलोत ने किया नमन
इसरो के जनक डॉ. विक्रम साराभाई की जयंती पर राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने याद करते हुए लिखा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के पितामह महान वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई को जयंती पर कोटिशः नमन। अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में आपके अमूल्य योगदान का देश ऋणी है।
कौन है डॉ. विक्रम साराभाई
डॉ. विक्रम साराभाई का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 12 अगस्त 1919 को हुआ था। इनका पूरा नाम डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई है। विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं 40 संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ. विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता। यह जगप्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया।
इसरो के स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना उनकी महान उपलब्धियों में एक थी। रूसी स्पुतनिक के प्रमोचन के बाद उन्होंने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राज़ी किया। डॉ. साराभाई ने अपने उद्धरण में अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर ज़ोर दिया. “ऐसे कुछ लोग हैं जो विकासशील राष्ट्रों में अंतरिक्ष गतिविधियों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं। हमारे सामने उद्देश्य की कोई अस्पष्टता नहीं है।