Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव करीब है ऐसे में हम आपके लिए राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों का क्या है चुनावी समीकरण, मुद्दा और इतिहास लेकर आये है यहां हम आपको जयपुर की बगरू विधानसभा का चुनावी समीकरण, मुद्दे और इतिहास के बारे में चर्चा करेंगे…
बगरू विधानसभा सीट का इतिहास
बगरू प्राकृतिक रंगों और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के लिए जाना जाता है । बगरू रैगर और छीपा समुदाय दोनों का घर है। छीपा 100 से अधिक वर्षों से कपड़ा छपाई परंपरा में शामिल हैं। रैगर्स चमड़े और उनके उत्पादों (जैसे जूते, मोचड़ी, राजस्थानी जूती और अन्य चमड़े के सामान) के प्रसंस्करण और निर्माण में शामिल हैं। रैगर्स बड़ी चमड़ा कंपनियों को कच्चा चमड़ा निर्यात करते हैं और स्थानीय बाजार (हटवाड़ा, जयपुर ) में भी बेचते हैं। प्रसिद्ध जुगल दरबार मंदिर बगरू में स्थित है। यहां, बागदा समुदाय द्वारा एक वार्षिक “मेला” आयोजित किया जाता है जिसमें पड़ोसी गांवों के सैकड़ों लोग शामिल होते हैं। यह शांति का स्थान है और सभी समुदायों को एकजुट करता है। बगरू शहर के मध्य में एक किला (निजी संपत्ति) भी है जो आम तौर पर गणगौर महोत्सव के अवसर पर जनता के लिए खुला रहता है।
इस सीट पर कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस का कब्जा
राजस्थान में कई विधानसभा सीटें हैं, जहां की जनता सत्ता की आहट को महसूस कर लेती है। इसी में एक सबसे सुरक्षित सीट है बगरू। इस बगरू विधानसभा सीट पर हर बार चुनाव में बदलाव हो जाता है। यहां पर एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस को जीत मिल जाती है। इतना ही नहीं यहां से बीजेपी को जब जीत मिलती है तो वोटों का मार्जिन ज्यादा रहता है। कांग्रेस कम मार्जिन से यहां पर चुनाव जीत पाती है। इस बार कांग्रेस इस सीट पर किसी युवा को मैदान में उतार सकती है। क्योंकि, यहां से सीटिंग विधायक गंगा देवी की उम्र 65 साल से अधिक हो गई है। बीजेपी भी अपने पुराने प्रत्याशी को मैदान में उतार सकती है या बदलाव भी हो सकता है। ऐसे में यहां की जातिगत समीकरण को देखते हुए दोनों पार्टियां फैसला लेती हैं। यह सीट 2008 के परिसीमन में बनी थी। इसके पहले इसका क्षेत्र सांगानेर और मालवीयनगर विधानसभा सीट में आता था।
इस बार हो सकता है बदलाव
बगरू विधानसभा सीट पर वैसे तो कई दावेदार हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से खुद वर्तमान विधायक गंगा देवी ताल ठोंक सकती हैं। क्योंकि वो यहां से दो बार विधायक रह चुकी हैं। मगर पार्टी युवाओं के तौर और यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सतवीर आलोरिया को भी मैदान में उतार सकती है। क्योंकि, इस सीट पर कांग्रेस ने बदलाव के संकेत दिए हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति बीजेपी की भी है। भाजपा अपने पुराने विधायक कैलाश वर्मा पर दांव लगा सकती है या कुछ नए चेहरे मैदान में उतरने को तैयार हैं।
जातिगत समीकरण
बगरू विधानसभा सीट वैसे तो सुरक्षित सीट है ही और इसमें शहर के कई हिस्से आते हैं। इसलिए यहां पर कई जातियों का असर भी देखने को मिलता है। यहां पर 22.97 एससी और 12.73 फीसदी एसटी वर्ग के लोग रहते हैं। इसके साथ ही यहां बड़ी संख्या में ब्राह्मण और जाट जाति के वोटर्स भी हैं। बगरू विधानसभा सीट का जातिगत समीकरण कुछ ऐसा ही है। इस सीट में करीब 40 ग्राम पंचायतें और शहर के 21 नगर निगम वार्ड आते हैं। इस सीट का मिजाज शहरी और ग्रामीण दोनों है। इसलिए यहां पर दोनों पार्टियों को टफ लड़ाई लड़ना होता है।
मतदाता और वोट प्रतिशत
बगरू विधानसभा सीट पर 2,93,929 मतदाता हैं। इनमें 1,55,404 पुरुष और 1,38,525 महिलाएं हैं. वर्ष 2018 में 72.37 फीसदी मतदान हुआ था। वर्ष 2013 में 72.7 फीसदी और 2008 में 55.6 फीसदी मतदान हुआ था। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2013 में बीजेपी के कैलाश वर्मा ने 46,356 मतों से चुनाव जीता था। वहीं 2018 में कांग्रेस की गंगा देवी को 96635 वोट मिले थे तो बीजेपी के कैलाश वर्मा को 91292 मत. महज कुछ हजार मतों से चुनाव में उन्हें हार मिली. वर्ष 2008 में कांग्रेस की गंगा देवी को 57,036 मत तो बीजेपी के रक्षपाल कुलदीप को 53,519 मत मिले थे।
यहां की बड़ी समस्या
इस सीट पर सीवरेज और कॉलोनियों में सफाई बड़ा मुद्दा है। इसके साथ ही पीने के पानी की बड़ी समस्या है। इस मुद्दे पर ही यहां पर चुनाव होता है।