Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव करीब है ऐसे में हम आपके लिए राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों का क्या है चुनावी समीकरण, मुद्दा और इतिहास लेकर आये है यहां हम आपको जयपुर की सिविल लाइंस विधानसभा का चुनावी समीकरण, मुद्दे जातिगत समीकरण और इतिहास के बारे में चर्चा करेंगे…
राजस्थान की राजधानी जयपुर वैसे तो बहुत ही खूबसूरत शहर है लेकिन राजधानी होने के कारण यहां सियासत भी चरम पर रहती है। राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले चर्चाओं और हार-जीत और विधानसभाओं के समीकरण तैयार करने का दौर शुरू हो गया है। राजस्थान में विधान सभा की कुल 200 सीटें हैं।
जयपुर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट के मतदाताओं का मिजाज बेहद ही अलग है। यहां के मतदाता एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के उम्मीदवार को जिताकर विधानसभा में भेजते हैं। इस सीट पर लगभग 10 फीसदी मतदाता बाहरी हैं, जो अन्य राज्यों के हैं और यहां पर रहते हैं। इस सीट से भले ही हर बार अलग प्रत्याशी को जीत मिलती है, मगर यहां पर कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास का दबदबा देखने को मिलता है। सत्तासीन कांग्रेस प्रताप सिंह खाचरियावास को लगातार मैदान में उतार रही है।
बीजेपी इस बार यहां से चेहरा बदलने की तैयारी में है क्योंकि, बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से बड़े वोटों के अंतर से हार मिली थी। इसके पहले जो जीत मिली थी, उसमें भी हार जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा था। इसलिए इस सीट पर बड़ा उलटफेर होने की आशंका जताई जा रही है। बीजेपी की तरफ से गोविन्द अग्रवाल का नाम आगे चल रहा है। कुछ नाम कांग्रेस की तरफ से भी सामने आ रहे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यहां से बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
इस सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा
वर्ष 2008 में इस सीट पर कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास ने 58 हजार 166 वोट हासिल कर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे, वहीं बीजेपी के अशोक लाहोटी 51 हजार 205 वोटों के साथ दूसरे नम्बर पर थे। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अरुण चर्तुवेदी ने कांग्रेस उम्मीदवार को मात दी थी, इस दौरान उन्होंने 77 हजार 693 वोट हासिल कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस के उम्मीदवार में प्रताप सिंह खाचरियावास को 66 हजार 564 वोट मिले और वह हार गए थे।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सिविल लाइंस विधान सभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह खाचरियावास ने वापसी करते हुए कुल 87 हजार 937 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। जबकि मंत्री रहते हुए बीजेपी के अरुण चर्तुवेदी को हार का सामना करना पड़ा। इस बार यहां से भाजपा और कांग्रेस में सीधी लड़ाई मानी जा रही है।
सिविल लाइंस विधान सभा सीट के चुनावी आकंड़े
सिविल लाइंस विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 35 हजार 78 मतदाता हैं। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 91 और महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 11 हजार 987 हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में इस सीट पर कुल 68.76 फीसदी मतदान हुआ था। तो वहीं वर्ष 2013 में 72.35 फीसदी और 2008 में 60.7 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट पर यूपी, बिहार, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के करीब 50 हजार से अधिक लोग रहते हैं। जिनमें से हजारों लोग वोटर के रुप में रजिस्टर्ड हैं।
जाति आधारित मतदाताओं की संख्या
इस सीट पर कई बार बाहरी व्यक्तियों ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ कर अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की, लेकिन अब तक किसी को कामयाबी नहीं मिली है। सिविल लाइंस विधान सभा सीट पर 55 हजार ब्राह्मण,10 हजार राजपूत, 25 हजार वैश्य, 20 हजार माली, 25 हजार अनुसूचित जनजाति, 25 हजार मुस्लिम सहित अन्य वर्गों के मतदाता हैं। यहां के मतदाता पार्टी आधारित उम्मीदवार को ज्यादा तरजीह देते हैं।
इस विधानसभा सीट का प्रमुख मुद्दा
सिविल लाइंस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों में से पीने का पानी, अच्छी सड़कें, सीवरेज और ट्रैफिक जाम जैसी समस्या है। कई लोगों ने बताया कि इस सीट पर नेता आकर बड़े-बड़े दावे तो करते हैं, लेकिन ये दावे बाद में खोखले साबित होते हैं। किसी बार भी समस्या का हल नहीं होता है। मुद्दे ज्यों के त्यों बने रह जाते हैं। इतना ही नहीं यहां से चुनाव जीतने वाले अरुण चतुर्वेदी और प्रताप सिंह खाचरियावास दोनों मंत्री रहे। मगर समस्या का हल नहीं हो पाया। इस बार कई नेता नए वादे के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।