Friday, October 25, 2024

जी -20 गठन कितना शक्तिशाली, जानिए इसका प्रभाव

जयपुर। जी -20 ग्रुप की ताकत का पता इस ग्रुप में शामिल देशों से लगाया जा सकता है. अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों का इस ग्रुप में शामिल होना अपने आप में एक शक्ति है.

जी-20 में कौन-कौन से देश शामिल ?

जी-20 यानी ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी में अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, ब्राज़ील, ब्राज़ील, फ्रांस, जर्मनी, रूस, इटली, तुर्किए, दक्षिणी अफ्रीका, सऊदी अरब, भारत, चीन, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया इसके साथ ही इस ग्रुप का 20वां सदस्य है यूरोपियन यूनियन यानी यूरोप देशों का समूह शामिल हैं. जानकारी के लिए बता दें कि हर साल अध्यक्ष देश कुछ देश और संगठनों को मेहमान के तौर पर आमंत्रित करता है. इस बार जी-20 समूह की अध्ययक्षता भारत करने जा रहा है. भारत ने नीदरलैंड, स्पेन, मिस्त्र, नाइजीरिया, मॉरीशिस, यूएई, ओमान, बांग्लादेश और सिंगापुर को निमंत्रण दिया है.

दुनिया की 2/3 आबादी रखता है जी-20

जी-20 समूह की ताकत का पता इस बात से भी लगा सकते हैं कि इसके सदस्‍य देशों के पास दुनिया की 85 फ़ीसदी जीडीपी, 75 फ़ीसदी ग्लोबल ट्रेड, दुनिया की 2/3 आबादी है. ऐसे में इस सम्मलेन में लिया गया फैसला पूरी दुनिया के लिए मायने रखता हैं.

कैसे काम करता है जी-20 ?

जिस भी देश को जी-20 को अध्यक्षता मिलती है वह उस साल जी20 की बैठक आयोजित करवाता है. वह बैठक का एजेंडा पेश करता है. इसके अलावा जी-20 दो समांतर ट्रैक पर काम करता है. एक होता है फाइनेंस ट्रैक जिसमें सभी देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर मिलकर काम करते हैं वहीं दूसरा होता है शेरपा लीड. शेरपा उन्हें कहा जाता है जो पहाड़ों में किसी भी मिशन को आसान करने का काम करते हैं. जी-20 के शेरपा लीड भी अपने-अपने देश के प्रमुख का काम आसान करने का जिम्मा उठाते हैं सभी सदस्य देशों के शेरपा बैठकों के माध्यम से अलग-अलग मुद्दों पर आपसी सहमति बनाने की कोशिश करते हैं.

कैसे मिलती है जी-20 की अध्यक्षता

जानकारी के अनुसार जी-20 कि अध्यक्ष का फैसला ट्रोइका मतलब एक तिकड़ी से तय होता है. इसमें पिछले, वर्तमान और भविष्य के अध्यक्ष देश शामिल होते हैं. इसे ही ट्रोइका कहा जाता है. जैसे उदहारण के लिए- इंडोनेशिया पिछली बार अध्यक्ष था, भारत अभी वर्तमान में अध्यक्ष है और ब्राज़ील जो अगला जी-20 का अध्यक्ष होगा, ये तीन देश शामिल हैं.

जी-20 की बैठक का क्या लाभ ?

यह जानना जरूरी है कि जी-20 सम्मलेन में लिए गए फैसलों को मानना क़ानूनी बाध्‍यता नहीं होती. यह आर्थिक रूप से ताकतवर देशों का एक समूह है. इसलिए यहां लिए गए फैसलों से इंटरनेशनल ट्रेड प्रभावित होता है. बैठक के अंत में जी 20 देशों के साझा बयान पर आम सहमति भी बनाई जाती है, जिसकी ज़िम्मेदारी आमतौर पर अध्यक्ष देश के ऊपर ही होती है. भारत भी पूरी कोशिश कर रहा है कि वह बैठक के दौरान जी20 के एक साझा बयान पर आम सहमति बना सके.

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