जयपुर: रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नई ग्रीन हाइड्रोजन नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट की स्वीकृति मुख्य सचिव एवं सक्षम समिति जारी करेगी। इस नीति से वर्ष 2030 तक राज्य में 2000 केटीपीए ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। इसके अलावा रिफाइनरी एवं फर्टिलाइजर प्लांटों की मांग की पूर्ति के लिए एक ग्रीन हाइड्रोजन वैली की स्थापना करना उद्देश्य है। ग्रीन हाइड्रोजन नीति के तहत भारत में राजस्थान द्वारा कम से कम एक गीगावॉट इलेक्ट्रोलाइजर मैन्युफैक्चरिंग के साथ न्यूनतम 20 फीसदी ग्रीन हाइड्रोजन आपूर्ति हो तथा राज्य में नेचुरल गैस की उत्पादित ज्यादा हो.
भूमि आवंटन का सौगात
नई ग्रीन हाइड्रोजन नीति के तहत अक्षय ऊर्जा प्लांट स्थापना के लिए भूमि का सौगात भू राजस्व 2007 के नियमानुसार किया जाएगा। वहीं बता दें कि रीको द्वारा भूमि औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित की जाएगी। इसके साथ प्रदेश के निजी भूमि पर भी प्लांट को बनाया जा सकता है.
नीति में मिलने वाला प्रोत्साहन
राज्य में “राजस्थान इन्वेस्टमेंट एवं प्रमोशन स्कीम” के अनुसार ग्रीन हाइड्रोजन नीति को लाभ मिलेगा।
अनुसंधान केंद्र के लिए अनुदान
राज्य में अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए कुल लागत का 30 फीसदी अनुदान मिलेगा। वहीं आपको बता दें कि आरवीएनएल के नेटवर्क पर बनने वाला प्रथम 500 केटीपीए तक अक्षय ऊर्जा संयंत्र को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।