जयपुर। राजस्थान के राजसमंद जिले में खमनौर गांव का एक परिवार अपने 4 पीढ़ियों से इत्र बनाने का काम कर रहा है. इस गांव में गुलाबों से इत्र तैयार किया जाता है जिसका डिमांड देश से लेकर विदेशों में भरी मांग के साथ होता है। राजस्थान के इस इत्र की खुशबू से पूरा भारत समेत अन्य देश भी सुगंधित हो जाता है। ऐसे प्रदेश में इस जिला को इत्र की नगरी से भी जाना जाता है। खास बात है कि इस जिले में लोग इत्र के साथ-साथ औषधीय और पेय पदार्थ तैयार करने में भी मशहूर हैं।
चंदन और मोगरा के इत्र
इत्र बनाने वाला मोतीलाल ने बताया कि उनका यह काम 4 पीढ़ियों से आज तक जारी है। उन्होंने कहा कि साल 1964 से ही उनका सारा परिवार इत्र के साथ-साथ औषधीय और पेय पदार्थ भी तैयार करता है. इस इत्र को भारत के सभी कोनों में सप्लाई किया जाता है। लोगों में इस इत्र की मांग अधिक हैं। जिस कारण हमलोग चार पीढ़ियों से लगातार इस काम में लगे हुए है। आपको बता दें कि गुलाब से तैयार किया हुआ इत्र अहमदाबाद, कोलकाता, दिल्ली, चैन्नई, गुजरात, वड़ोदरा, गुडग़ांव सहित झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, जम्मू-कश्मीर सहित भारत के अन्य राज्यों में भी सप्लाई किया जाता हैं. यही नहीं इस इत्र की विदेशों में भी खूब मांग हैं।
चौथी पीढ़ी का योगदान
वहीं मोतीलाल ने साथ में बताया कि इस काम को आगे और बढ़ाने में हमारी चौथी पीढ़ी का बड़ा योगदान है। जिसने अपने परम्परागत काम को जारी रखा हैं. इस काम में मोतीलाल की बहुएं समेत पोतियां भी शामिल हैं।
दस से बारह हजार गुलाब के पौधे
गुलाब से तैयार किया गया इस इत्र को भट्टी के माध्यम से बनाया जाता है। इसको तैयार करने में 1 महीना का समय लगता है। बता दें कि इस जिले में माली समाज अपने खेतों में करीब दस से बारह हजार गुलाब का पौधा लगाते हैं जिससे इत्र को तैयार करने में मोतीलाल के परिवार को सहूलियत मिलती है।