Friday, November 22, 2024

Rajasthan Election 2023 : BJP में शामिल हुए महाराणा प्रताप के वंशज, प्रदेश में बढ़ी सियासी सरगर्मी

जयपुर। राजस्थान में भाजपा का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को कल्याण सिंह कालवी के पोते भवानी सिंह कालवी ने दिल्ली भाजपा मुख्यालय पर बीजेपी ज्वाइन की हैं। इसके साथ ही मेवाड़ राजघराने के महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। दोनों नेताओं को दिल्ली भाजपा मुख्यालय पर ज्वाइन कराया गया। बता दें कि अरुण सिंह, दिया कुमारी, सीपी जोशी और अर्जुन राम मेघवाल ने विश्वराज सिंह मेवाड़ और भवानी सिंह कालवी को भाजपा में शामिल कराया है।

महाराणा प्रताप के वंशज विश्व राज सिंह

नेताओं के पार्टी में शामलि होने के बाद राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा जिनकी आज पार्टी में सदस्यता हुई है, वह वीर महाराणा प्रताप के वंशज विश्व राज सिंह हैं। वहीं दूसरे भवानी सिंह कालवी जिनके पिता करनी सेना के अध्यक्ष रहे हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस दौरान कहा कि राजस्थान में इनका आगामी दिनों में बड़ा योगदान देखने को मिलेगा। वहीं साथ में उन्होंने कहा कि PM मोदी की 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने वाले संकल्प में राजस्थान का बहुत बड़ा योगदान होगा। वहीं बीजेपी में शामिल होने के बाद भवानी सिंह कालवी ने भी अपनी प्रतिकिया दी भवानी सिंह कालवी ने कहा कि बीजेपी के साथ एक टीम प्लेयर की तरह मिलकर काम करेंगे और गेम जितनी की प्रयाश जरूर करेंगे.

कौन हैं भवानी सिंह कालवी ?

आपको बता दें कि नागौर जिले के कालवी गांव निवासी भवानी सिंह कालवी ने बीजेपी का दामन थामा है। भवानी सिंह कालवी राजपूत समाज के वरिष्ठ नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री कल्याण सिंह कालवी के पोते हैं। इनके पिता स्वर्गीय लोकेन्द्र सिंह कालवी प्रदेश के जाने माने समाजसेवी थे। वह खुद सामाजिक न्याय मंच के संस्थापक भी है। बता दें कि उनके परिवार के भवानी सिंह कालवी को नागौर से चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं खूब हो रही है। वहीं भवानी सिंह कालवी को भाजपा में शामिल होने के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि “मेरे पूर्वज महाराणा प्रताप हमेशा से समाज की भलाई के लिए ही सोचा है” और इसी सोच के साथ ही आज मैं बीजेपी से जुड़ा हूँ।

चुनावी माहौल में सियासी पारा तेज

प्रदेश में चुनावी माहौल के बीच यह ख़बर चर्चा का विषय बना हुआ है। सभी राजनीतिक दलों में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। अब देखना यह है कि राजपूतों के घराने में अंततः किस पार्टी को जीत मिलती है।

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