जयपुर। देशभर में त्योहारी सीजन की शुरुआत नवरात्रि से हो गई है। हर वर्ष नवरात्रि के दौरान रामलीला मैदान में दशहरा उत्सव का आयोजन होता है लेकिन इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है जिस कारण राज्य में आचार संहिता लागू है। इस चुनावी माहौल के बीच नवरात्रि के दौरान रामलीला मैदान में होने वाला दशहरा उत्सव का आयोजन नहीं हो रहा है । वहीं बता दें कि साल 1951 से रामलीला मैदान में दशहरा उत्सव का आयोजन होता रहा है। इतने लंबे साल से यह परंपरा आज तक बिना रुके चल रही थी लेकिन इस साल विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता को देखते हुए इस उत्सव का आयोजन नहीं किया जा रहा है।
निर्वाचन विभाग ने साफ इनकार किया
आपको बता दें कि दशहरा पर्व के संबंध में नगर परिषद प्रशासन ने जिला निर्वाचन विभाग से मार्गदर्शन मांगा था लेकिन जिला निर्वाचन विभाग ने साफ मना कर दिया है। ऐसे में बताया जा रहा है कि इस वर्ष दशहरे पर रामलीला मैदान में रावण परिवार नजर नही आएगा। साथ ही बता दें कि इस साल दशहरे पर रावण परिवार के पुतलों का दहन भी नहीं होगा। वहीं नगर परिषद आयुक्त का कहना है कि दशहरा उत्सव के आयोजन के लिए कम से कम 7 दोनों का समय चाहिए लेकिन वर्तमान नगर परिषद आयुक्त ने इस पर कोई विचार नहीं किया है। बता दें कि नए आयुक्त यशपाल आहूजा ने दशहरा उत्सव के टेंडर की मांग को लेकर निर्वाचन अधिकारी के पास बात रखी। हालांकि नगर परिषद आयुक्त यशपाल आहूजा ने इस टेंडर को जारी करने से मना कर दिया। उनका कहना है कि प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में प्रदेशभर में आचार संहिता लागू है जिस कारण दशहरा उत्सव का आयोजन नहीं किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि नगर परिषद सभापति पिछले साल की तर्ज पर इस साल भी अपने स्तर पर दशहरा उत्सव आयोजित करेगी तो आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उन पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष राजस्थान में आचार संहिता नहीं थी लेकिन इस बार चुनावी माहौल के बीच आचार संहिता का पालन करने के लिए नगर परिषद प्रशासन दशहरा उत्सव आयोजन के लिए हामी नहीं भरेगी।
सामूहिक तौर पर मनाया जाता है
बता दें कि सनातन धर्म महावीर मंदिर कमेटी सचिव शेरवाला का कहना है कि प्रदेश में एकमात्र दशहरा ऐसा पर्व है जिसे हम सामूहिक तौर पर मानते हैं । लेकिन इस बार चुनावी माहौल के बीच राजनीति इस पर्व में बाधा बनी है। उन्होंने कहा कि इस बार दशहरे पर रामलीला मैदान में उत्सव नहीं होने के कारण इलाके के लिए निराशाजनक ख़बर है। इस दौरान उन्होंने बताया कि हमारी संस्था साल 1951 से लगातार आज तक दशहरा उत्सव आयोजित कर रही हैं। आपको बता दें कि रामलीला मैदान में दशहरा उत्सव की परंपरा को सनातन मंदिर के कमेटी ने साल 2016 तक निभाई है। इसके बाद नगर परिषद प्रशासन के अधीन में रामलीला मैदान में विजयदशमी पर्व की जिम्मेदारी है।
श्री गंगानगर के इतिहास में पहली बार
इस निराशा जनक सूचना को सुनने के बाद नगर परिषद के नेता प्रतिपक्ष बबीता गौड़ ने बताया कि श्री गंगानगर के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब हमारी धार्मिक आस्था व संस्कृति का प्रतीक दशहरा पर्व इस साल रामलीला मैदान में नहीं मनाया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस साल रामलीला मैदान में दशहरा उत्सव का आयोजन नहीं होने का पूरा श्रेय नगर परिषद सभापति और आयुक्त को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि दशहरा की तारीख तो पहले से ही ज्ञात थी फिर इसे नजरंदाज किया गया और इस बीच चुनावी तारीख की घोषणा के साथ ही प्रदेश भर में आचार संहिता लागू कर दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के सभापति चुनाव में व्यस्त है और नगर परिषद आयुक्त इधर आचार संहिता का हवाला देकर श्रद्धालु के भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम कर रही है। इतिहास में जो नहीं हुआ वह इस साल सच होते दिख रहा है। रामलीला मैदान में 71 साल की परंपरा को दरकिनार कर दशहरा उत्सव का आयोजन बंद कर दिया गया है।