जयपुर। देश भर में त्योहारी सीजन की धूम मची है। ऐसे में दीपावली के आतिशबाजी से पहले ही देश भर में हवा दूषित हो गई है। बता दें कि दूषित हवा बच्चों के साथ-साथ बीमार व्यक्तियों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बनता देखा जा रहा है। वहीं अक्टूबर से नवंबर के महीने में हवा की गुणवत्ता तेजी से खराब होने लगती है जिस कारण प्रदूषण का लेवल अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में दिल्ली एनसीआर, मुंबई, राजस्थान जैसे तमाम शहरों में रहने वालों के लिए खतरनाक साबित होता है। हालांकि यह प्रदूषित हवा बच्चों और बुजुर्गों को अधिक नुकसान पहुंचता है। हवा में कई तरह की जहरीली गैस जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक बढ़ जाने से वायु प्रदूषण के साथ वायु दूषित भी हो रहा है। इस कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता देखा जा रहा है।
कई तरह की बीमारियों का खतरा
दूषित हवा के कारण बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया, कमजोर दिल, साइनस, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं का प्रकोप अधिक बढ़ता जा रहा है। दूषित हवा में सांस लेने से बच्चों और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो जाती है। जिस कारण इन्हें कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ता हैं।
फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं
प्रदूषित हवा में मौजूद हानिकारक गैस बच्चों के फेफड़े को बुरी तरह से प्रभावित करता है। जिस कारण फेफड़ों की कार्य क्षमता कम हो जाती है। जिससे बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। बता दें कि प्रदूषित हवा के कारण अस्थमा जैसी तमाम सांस से जुड़ी बीमारी बढ़ जाती है, जो फेफरा की कार्यक्षमता को काफी कमजोर बना देती है। इस कारण बच्चों को अन्य बीमारियों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देता है। इस वजह से आप अपने बच्चों को प्रदूषित हवा में भेजने से परहेज करें। यदी आप उन्हें घर से बाहर निकालने तो मास्क का उपयोग जरूर कराएं।
निमोनिया का खतरा
हवा दूषित होने के कारण बच्चों में निमोनिया जैसी कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से बच्चों के फेफड़े खराब होने लगते हैं। इस कारण बच्चे निमोनिया का शिकार जल्द ही होने लगते हैं। प्रदूषित हवा बच्चों के विकास में भी बाधा साबित होते देखा जा रहा है। इसलिए आप अपने बच्चों को प्रदूषित हवा में जाने से परहेज करें और उनका पूर्ण रूप से ख्याल रखें।