जयपुर। पूरे देश में गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी चल रही है और ऐसे में उदयपुर से एक दुखद ख़बर सामने आई है। बता दें कि उदयपुर में गणतंत्र दिवस से ठीक दो दिन पहले 24 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी मनोहर लाल का निधन हो गया है. उनकी उम्र 99 साल थी। औदिच्य का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. उन्हें जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल, पुलिस अधीक्षक डॉ भुवन भूषण यादव समेत अन्य ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी, बता दें कि आजादी की लड़ाई में मनोहरलाल औदिच्य नेतृत्वकर्ता थे।
आइए जानते है स्वतंत्रता सेनानी की जीवनी
स्वतंत्रता सेनानी औदिच्य के पिता का नाम गणपत लाल और माता का नाम जशोदा देवी था। इनके तीन पुत्र हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा उदयपुर में हुई, उसके बाद वे वर्ष 1946 में आगरा विश्वविद्यालय से कला स्नातक (बी.ए.) और राजपूताना विश्वविद्यालय से 1948 में एल.एल.बी. की. भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन से औदिच्य अपने छात्र जीवन से ही जुड़ गए थे. उन्होंने आजादी के बाद राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण विभाग में कई सालों तक अपनी सेवाएं भी दी. विभाग के कार्यालय अधीक्षक के पद से 1980 में सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद भी हर तरह से वे विभाग एवं समाज को सेवा देते रहे.
भारत छोड़ो आंदोलन में रहा योगदान
मनोहर लाल ने अंग्रेजों के विरुद्ध वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में विद्यार्थियों का नेतृत्व किया. उस दौरान 22 अगस्त 1942 को डिफेन्स ऑफ इंडिया रूल धारा 26 के तौर पर उन्हें अनिश्चित काल के लिए कारागर में बन्दी बना लिया गया था. इस घटना के बाद पूरे मेवाड़ में आंदोलन ने हलचल मचा दिया था. बता दें कि उस दौर में भी विद्यार्थियों को बंदी बनाए जाने से हर तरफ आक्रोश का माहौल था। इस कारण जगह-जगह पर लोगों का प्रदर्शन बढ़ने लगा। बढ़ते विरोध को देखते हुए 2 सितम्बर 1942 को सरकार को बिना शर्त के उन्हें जेल से रिहा करना पड़ा. उसके बाद भी स्वाधीनता आन्दोलन में औदिच्य सक्रिय रहे. राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती समारोह व अनेक अन्य मौके पर औदिच्य को स्मृति चिह्न, ताम्रपत्र, शॉल आदि भेंट कर सम्मानित भी किया गया है.