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Navratri 2023: बंगाली समाज 68 वर्ष से झीलों के शहर में कर रहा दुर्गा पूजा, सैकड़ों लोग जुड़े

जयपुर। नवरात्रि का दौर शुरू है। ऐसे में कोलकाता की गलियों में जाएंगे तो वहां भव्य दुर्गा पंडालों के अनोखा नजारा देखने को मिलेगा। बता दें कि पूरी दुनिया में कोलकाता का दुर्गा पूजा मशहूर है। लेकिन बंगाल से पलायन हुए बंगाली समाज के लोगों ने करीब 68 साल पहले उदयपुर में दुर्गा पूजा के […]

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Durga Puja in the city of lakes for 68 years
  • October 21, 2023 7:38 am IST, Updated 1 year ago

जयपुर। नवरात्रि का दौर शुरू है। ऐसे में कोलकाता की गलियों में जाएंगे तो वहां भव्य दुर्गा पंडालों के अनोखा नजारा देखने को मिलेगा। बता दें कि पूरी दुनिया में कोलकाता का दुर्गा पूजा मशहूर है। लेकिन बंगाल से पलायन हुए बंगाली समाज के लोगों ने करीब 68 साल पहले उदयपुर में दुर्गा पूजा के आयोजन की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि वर्त्तमान में उदयपुर समाज के सैकड़ों लोग इस पूजा से जुड़ चुके हैं। शुक्रवार को यहां षष्ठी पूजा के साथ ही मां दुर्गा पूजा का शुभारंभ किया गया। उदयपुर शहर के भूपालपुरा स्थित बंग भवन, अशोकनगर के केंद्र भवन और सेक्टर 4 काली बाड़ी सोसाइटी में बंगाल की दुर्गा पूजा के हु-बहू नजारे देखने को मिलता है।

केंद्र भवन में हो रही पूजा

प्राचीनतम दुर्गा पूजा उत्सव की शुरुआत अनिल भट्टाचार्य ने उदयपुर में की थी। बता दें कि भट्टाचार्य सुप्रीम कोर्ट के वकील के साथ उदयपुर विधि महाविद्यालय के प्रिंसिपल भी रह चुके हैं। सन 1956 में उन्होंने दुर्गा पूजा मनाने की शुरुआत पहली बार उदयपुर में की थी। आपको बता दें कि भट्टाचार्य परिवार के अंजलि एवं इंदिरा भट्टाचार्य ने बताया है कि भट्टाचार्य परिवार पिछले 68 सालों से यह दुर्गा पूजा पारंपरिक विधि-विधान से आयोजन करते आ रहा है। दुर्गा पूजा के दौरान मां की प्रतिमा की स्थापना कर दी गई हैं। वहीं कल (शुक्रवार) षष्ठी पूजा से दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई है।

शास्त्री सर्कल स्थित चटर्जी बंगले में दुर्गा पूजा

पूजा सचिव तपन रॉय ने बताया है कि करीब 62 वर्ष पहले शास्त्री सर्कल स्थित चटर्जी बंगले में दुर्गा पूजा का आयोजन होता था। बाद में महाराष्ट्र भवन को किराए पर लेकर पूजा की जाती थी। साथ ही उन्होंने बताया कि साल 1982 में यूआईटी ने भूपालपुरा में बंग भवन निर्माण के लिए जमीन दी, इसके बाद से ही यहां दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा हैं। खास बात यह है कि यहां के दुर्गा पूजा को बंगाली रीति रिवाज से की जाती है। वहीं अष्टमी वाले दिन मां दुर्गा को 108 कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं और नवमी पर सुबह पूजा और हवन होता है। दसवीं पर मां का विसर्जन की रस्म निभाई जाती है। इस दौरान सिंदूर खेला की परंपरा सभी सुहागिन महिलाएं हमेशा की तरह निभाती है।


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