जयपुर। हिंदू धर्म में अश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नामों से जाना जाता है। वर्ष में 12 पूर्णिमा होते हैं जिसमें शरद पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर ही भगवान कृष्ण लला ने ब्रजमंडल में […]
जयपुर। हिंदू धर्म में अश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नामों से जाना जाता है। वर्ष में 12 पूर्णिमा होते हैं जिसमें शरद पूर्णिमा को सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस पूर्णिमा पर चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। माना जाता है कि इस पूर्णिमा पर ही भगवान कृष्ण लला ने ब्रजमंडल में गोपियों के साथ रासलीला रचाई थी। इसलिए शरद पूर्णिमा को “रास पूर्णिमा” भी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस अवसर पर समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थी। इस पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी के पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ में मां लक्ष्मी के आशीर्वाद के रूप में सुख-समृद्धि भी मिलती हैं । बात करें इस साल शरद पूर्णिमा की तो इस साल शरद पूर्णिमा पर साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है।
बता दें कि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर ग्रहण का साया परने जा रहा है। इस साल शरद पूर्णिमा शनिवार को हैं। बात करें पूर्णिमा की तिथि की तो शनिवार को सुबह 4:17 पर पूर्णिमा शुरू होगी और इसकी समापन रविवार को दोपहर 1:53 पर होगा लेकिन शनिवार रात 1:14 बजे से मध्य रात्रि 2:28 तक चंद्र ग्रहण का साया बना रहेगा। शनिवार शाम 4:14 से चंद्र ग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा। इस दौरान मंदिरों के दरवाजे बंद रहेंगे। बता दें कि शरद पूर्णिमा के अवसर पर सभी मंदिरों में विशेष पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है। वहीं लोग शरद पूर्णिमा के मौके पर घरों में खीर बनाकर चांदनी रात में आसमान के नीचे रखते हैं।
शरद पूर्णिमा को लेकर ज्योतिष आचार्य शिवदयाल शास्त्री ने बताया कि इस साल शरद पूर्णिमा पर खण्डग्रास चंद्रग्रहण उपछाया रात्रि 11:30 से शुरू होगी। शनिवार की रात के उपरांत 29 अक्टूबर की तिथि लगते हैं रात को 1: 14 से रात्रि 2:28 तक चंद्र ग्रहण रहेगा। शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर यह सूतक पूरे देश में मान्य होगा। उन्होंने बताया कि सूतक काल शनिवार शाम 4:14 पर शुरू हो जाएगा। इस दौरान रोगी, वृद्ध, बालक, बच्चे और गर्भवती महिलाएं को छोड़कर सूतक के समय भोजन, शयन, मूर्ति पूजन पर निषेध रहेगा। उन्होंने बताया कि अगर ग्रहण के दौरान दान, पूजन, हवन विशेष करते हैं तो विशेष फलदायी माना जाता है। ज्योतिष आचार्य ने यह भी स्पष्ट तौर पर बताया कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं को शांत भाव से ईश्वर और मां दुर्गा का भजन-कीर्तन करना अच्छा माना जाता हैं। वहीं ग्रहण समाप्ति के बाद अन्न अथवा वस्त्र दान करने के बाद स्नान जरूर करना चाहिए।
दूसरी तरफ ध्यान योगी विशेषज्ञ मीना रानी गौतम बताती हैं कि इस साल शरद पूर्णिमा शनिवार शाम 7:30 बजे से 9:15 के बीच में मेडिटेशन करना अच्छा माना जाएगा। इस अवधि के दौरान अगर कोई व्यक्ति ध्यान के माध्यम से चंद्रलोक की यात्रा करना चाहता है तो वह ऐसा करने में सफल होगा। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में अगर कोई व्यक्ति सुई और धागा पिरोता है तो उसके घर में सुख-समृद्धि और शांति अवश्य आती है।