भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले दिनों हुए तनाव की स्थिति को देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम करने के आदेश दिए हैं। इन आदेशों के तहत सरकार ने सीमावर्ती जिलों (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर) के अलावा जयपुर, अलवर, भरतपुर, कोटा और अजमेर को भी हवाई हमलों के नजरिए से […]
भारत-पाकिस्तान के बीच पिछले दिनों हुए तनाव की स्थिति को देखते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम करने के आदेश दिए हैं। इन आदेशों के तहत सरकार ने सीमावर्ती जिलों (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर) के अलावा जयपुर, अलवर, भरतपुर, कोटा और अजमेर को भी हवाई हमलों के नजरिए से सेंसिटिव माना है। इन जिलों में प्रमुख स्थानों पर इलेक्ट्रिक सायरन लगाने के निर्देश दिए हैं। जो सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल रूम से ऑपरेट होंगे।
सिविल डिफेंस निदेशालय से जारी किए गए गाइडलाइन में इसका जिक्र किया गया है। प्रमुख स्थानों के अलावा भी औद्योगिक क्षेत्र में बनी कंपनियों, फैक्ट्रियों, रेलवे स्टेशनों और अन्य जगहों पर लगे हुए सायरनों को भी उपयोग में लेने के लिए कहा गया है।
इसी तरह सीमावर्ती जिलों (बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, जोधपुर) और जयपुर में बने एयरफोर्स स्टेशनों को सिविल डिफेंस कंट्रोल सेंटर्स से हॉटलाइन के जरिए भी कनेक्ट करने के लिए कहा गया है। इससे हवाई हमलों के संबंध में तुरंत ही चेतावनी मिल सके और शहरों में भी अलर्ट भेजा जा सके।
वहीं, निदेशालय ने सभी 10 जिलों के कलेक्टर्स को खतरे और हवाई हमले से बचाव के लिए इवेक्युएशन (खतरे से बाहर निकालना) की प्लान भी तैयार करने के निर्देश जारी किए है। इसमें हवाई हमले और खतरे के समय से आमजन के साथ-साथ पशुओं को कैसे खतरे वाले स्थानों से बाहर निकालकर सुरक्षित जगह ले जा सके। इन आश्रय स्थलों के तौर पर स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक केन्द्रों की बिल्डिंगों को भी चिह्नित किया जाए। इनके अलावा कई बड़ी बिल्डिंगों में बने बेसमेंट, अंडरग्राउंड पार्किंग को भी आश्रय स्थल के तौर पर चिह्नित किया जा सकता है।
खतरे के समय आपदाओं से निपटने के लिए कंट्रोल रूम को भी जिला या उपखंड स्तर पर बनाने के आदेश जारी किए गए है। इसमें रेस्क्यू करने वाले वाहनों को रखने वाले सभी कर्मचारियों को जानकारी रखने के अलावा अन्य संसाधनों की उपलब्धता से भी सुनिश्चित हो सके।