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Supreme Court: पहले दुष्कर्म, फिर समझौता, सुप्रीम कोर्ट का यौन उत्पीड़न मामले पर बड़ा फैसला

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में अहम फैसला सुनाया है। यौन उत्पीड़न के मामलों में अब समझौता नहीं कराया जाएगा। हाई कोर्ट ने राजस्थान के गंगापुर शहर की एक नाबालिग दलित लड़की के यौन उत्पीड़न से संबंधि मामले में ये फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं बता दें नाबालिग लड़की ने […]

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Supreme Court
  • November 7, 2024 12:43 pm IST, Updated 10 months ago

जयपुर। सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में अहम फैसला सुनाया है। यौन उत्पीड़न के मामलों में अब समझौता नहीं कराया जाएगा। हाई कोर्ट ने राजस्थान के गंगापुर शहर की एक नाबालिग दलित लड़की के यौन उत्पीड़न से संबंधि मामले में ये फैसला सुनाया है।

हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं

बता दें नाबालिग लड़की ने अपने शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौते से केस को रद्द नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए ये टिप्पणी की है। जस्टिस सीटी रविकुमार ने अपने फैसले में कहा कि विवादित आदेश रद्द किया जाता है। कोर्ट ने कहा है कि FIR और आपराधिक कार्यवाही कानून के मुताबिक ही आगे बढ़नी चाहिए।

दोबारा सुनवाई का आदेश

मामले की खूबियों पर हमारी कोई टिप्पणी नहीं है,लेकिन यह अपराध गैर समझौतावादी धारा के अंतर्गत आता है। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक शिक्षक को नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में राहत दी गई थी। हाई कोर्ट ने शिक्षक के खिलाफ केस को खारिज कर दिया था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सुनवाई का करने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला?

ये मामला साल 2022 में राजस्थान के गंगापुर शहर का है। जहां एक नाबालिग दलित लड़की ने सरकारी स्कूल के शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने इसमें POCSO अधिनियम और SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था। इसमें नाबालिग का बयान भी दर्ज किया था। आरोपी शिक्षक विमल कुमार गुप्ता ने लड़की के परिवार से स्टांप पेपर पर बयान लिया। बयान में कहा गया है कि उन्होंने गलतफहमी के कारण पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।

केस रद्द करने का आदेश दिया

अब वह शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं। पुलिस ने इसे सच केस दर्ज कर लिया था, लेकिन निचली अदालत ने इस बयान को खारिज कर दिया। इसके बाद आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली और एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया।


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