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Rajasthan Election 2023 : साइकिल और भोंपू से प्रचार… जानें 50 साल पहले कैसे होता था चुनाव?

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। प्रदेश भर में मतदान 25 नवंबर को होगा और चुनावी परिणाम 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा। ऐसे में आज आपको आज से 50 साल पहले की चुनावी माहौल के बारे में विस्तार से बताते हैं। बता दें कि 50 वर्ष पूर्व साइकिल और भोंपू […]

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Campaigning with bicycles and horns
  • October 18, 2023 3:56 am IST, Updated 1 year ago

जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई है। प्रदेश भर में मतदान 25 नवंबर को होगा और चुनावी परिणाम 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा। ऐसे में आज आपको आज से 50 साल पहले की चुनावी माहौल के बारे में विस्तार से बताते हैं। बता दें कि 50 वर्ष पूर्व साइकिल और भोंपू से चुनावी प्रचार होता था।

मतदान की पर्ची कार्यकर्ता खुद बनाते

आपको बता दें कि राजस्थान के (90) वर्ष आयु पूर्व सरपंच लादूराम सोमानी बताते हैं कि आज से 50-60 वर्ष पहले चुनाव में मतदान की पर्ची कार्यकर्ता खुद तैयार करते थे। वहीं पार्टी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह को लोहे की पट्टी पर लिखवा कर जगह-जगह पर टांगते थे। दीवारों पर लाल कलर से चुनावी स्लोगन लिखवाया जाता था जिससे लोगों को मतदान करने के लिए जागरूक किया जाए।

भोंपू से होती थी घोषणा

पूर्व सरपंच लादूराम बताते हैं कि 50 वर्ष पूर्व चुनाव के दौरान सभी जगहों पर चुनावी प्रचार भोंपू के माध्यम से किया जाता था। साथ ही उन्होंने बताया कि आज के दौर में इतनी बड़ी-बड़ी चुनावी जनसभा होती है, उस दौरान इतनी जनसभा भी नहीं होती थी। उस दौरान चुनाव के प्रचार के लिए पैदल चलकर जनसंपर्क किया जाता था। वही साइकिल पर झंडा लगाकर चुनाव प्रचार प्रसार भी किया जाता था। इसके साथ उन्होंने बताया कि उन दिनों चुनावी माहौल के बीच नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया जाता था, जिससे वोटर मतदान के लिए जागरूक होते थे। उन दिनों चुनाव में नेताओं और कार्यकर्ताओं में विश्वास बना रहता था। जो आज के स्थिति के हिसाब से बिल्कुल विपरीत हैं। उस दौरान चुनाव का प्रचार गैस की बत्ती और लालटेन की रोशनी के साथ की जाती थी।

झंडे से प्रचार

वही लादूराम बताते हैं कि 60 वर्ष पूर्व चुनावी प्रचार साइकिल के माध्यम से विभिन्न-विभिन्न जगह पर जाकर किया जाता था। लोगों को जागरूक करने के लिए अलग-अलग तरीका इस्तेमाल किया जाता था। लोगों को मतदान करने के लिए कई तरह के नुक्कड़ सभाएं भी की जाती थी, जिससे लोग प्रेरित होकर मताधिकार का प्रयोग करते थे। उस दौरान सभी राजनीतिक दल जनसंपर्क के लिए पैदल मार्च करते थे और लोगों के बीच जाकर परेशानियों का हल निकालते थे। वहीं सोमनी बताते हैं कि मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके पूर्व मुख्यमंत्री शिव वर्ण माथुर कार्यकर्ताओं को नाम से ही जानते थे। हालांकि आपको बता दें कि 1990 के चुनावी दौर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी चित्तौड़गढ़ के मंडावरी कांड के पीड़ितों से मिलने चित्तौड़गढ़ आए थे।

राज्य में आचार संहिता लागू

राजस्थान में चुनावी तिथि के घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू कर दी गई। प्रदेश में निष्पक्ष और शांतिपूर्वक वोटिंग कराने के दृष्टिकोण से प्रशासन अलर्ट मोड में है। राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण वोटिंग कराने की तैयारी चल रही है।


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