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Rajasthan : आदिवासी वोटर्स को लोकसभा चुनाव से पहले साधने की तैयारी, जानें किसे मिली जिम्मेदारी

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनते ही प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन किया गया. मेवाड़ वागड़ से मंत्रिमंडल में तीन विधायकों को मंत्री पद दिया गया, बता दें कि आदिवासी वोटर को साधने के उद्देश्य से दो आदिवासी विधायकों को मंत्री बनाया गया. वहीं अब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से […]

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Preparations to attract tribal voters before Lok Sabha elections
  • January 24, 2024 9:18 am IST, Updated 1 year ago

जयपुर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनते ही प्रदेश में मंत्रिमंडल का गठन किया गया. मेवाड़ वागड़ से मंत्रिमंडल में तीन विधायकों को मंत्री पद दिया गया, बता दें कि आदिवासी वोटर को साधने के उद्देश्य से दो आदिवासी विधायकों को मंत्री बनाया गया. वहीं अब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले आदिवासी सीटों को साधने के लिए आदिवासी विधायक को एक और बड़ी जिम्मेदारी है. लगातार तीसरी बार विधायक बने फूल सिंह मीणा को उदयपुर ग्रामीण विधानसभा से यह पद दिया गया है.

मंत्री मंडल में शामिल होने की थी खूब चर्चाएं

कई नामों की चर्चा राजस्थान सरकार के मंत्रिमंडल गठन से पहले हुई. उसमें एक नाम विधायक फूल सिंह मीणा का भी शामिल था. बता दें कि उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार फूल सिंह मीणा विधायक बने. विधायक की कुर्शी भी बड़ी जीत से मिली .इसके बाद यह चर्चा का विषय बन गया कि मेवाड़ से बाबूलाल खराड़ी या फूल सिंह मीणा को मंत्रिमंडल में जगह अवश्य मिलेगी. इसमें फूल सिंह मीणा का नाम बाबूलाल खराड़ी से भी पहले आ रहा था, लेकिन क्या उदयपुर जिले की झाडोल विधानसभा सीट से सरकार ने विधायक बाबूलाल खराड़ी को कैबिनेट मंत्री बनाया और उन्हें जनजातीय विभाग सौंप दिया। इसके बाद सरकार ने फूल सिंह मीणा को अब बड़ी जिम्मेदारी दी है.

यह पद विधायक फूल सिंह मीणा को दिया

राजस्थान विधानसभा में विधायक पद पर कार्यरत रहते हुए कक्षा दसवीं से ग्रेजुएट होने वाले फूल सिंह मीणा को सभापति नियुक्त किया गया है. मंगलवार को वह पहली बार विधानसभा में सभापति पद पर बैठे. तमाम जानकारों के अनुसार यह ख़बर मिली है कि सदन की कार्यवाही के दौरान जब विधानसभा अध्यक्ष मौजूद नहीं रहते हैं तब सभापति सदन की कार्यवाही को संभालते हैं. अगर बात मेवाड़ में लोकसभा सीट की करें तो यहां लोकसभा की चार सीटें हैं, जिसमें बांसवाड़ा व उदयपुर जनजातीय आरक्षित सीटें में आता हैं. लोकसभा चुनाव को देखते हुए आदिवासी विधायक को आदिवासी वोटरों को साधने के लिए सभापति बनाया गया है.


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