Advertisement
  • होम
  • त्योहार
  • राजस्थान: निर्जला एकादशी से पूर्ण होंगी सारी मनोकामनाएं, जानिए क्या है महत्व ?

राजस्थान: निर्जला एकादशी से पूर्ण होंगी सारी मनोकामनाएं, जानिए क्या है महत्व ?

जयपुर। निर्जला एकादशी का पर्व 31 मई को मनाया जाता है. एकादशी त्यौहार भगवान विष्णु को समर्पित है. 12 महीने में कुल 24 बार एकादशी तिथि आती है. इस दिन मेवाड़ में पतंगे उड़ाने की परंपरा है. इस त्यौहार को लेकर बाजार में पतंगों की दुकानें सज गई हैं. क्या है निर्जला एकादशी ? आपको […]

Advertisement
Nirjala Ekadashi 2023: when is Nirjala Ekadashi vrat know shubh muhurat puj
  • May 25, 2023 11:17 am IST, Updated 2 years ago

जयपुर। निर्जला एकादशी का पर्व 31 मई को मनाया जाता है. एकादशी त्यौहार भगवान विष्णु को समर्पित है. 12 महीने में कुल 24 बार एकादशी तिथि आती है. इस दिन मेवाड़ में पतंगे उड़ाने की परंपरा है. इस त्यौहार को लेकर बाजार में पतंगों की दुकानें सज गई हैं.

क्या है निर्जला एकादशी ?

आपको बता दें कि निर्जला एकादशी का पर्व 31 मई को मनाया जायेगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घ आयु और मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मन्त्र का जाप करने के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना करना चाहिए।

क्या रहेगा शुभ समय ?

हिन्दू पांचवहंग के अनुसार एकादशी तिथि 30 मई दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर शुरू होगी और 31 मई को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सर्वार्थ सीधी का योग सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक किया जाएगा।

मेवाड़ में होगी पतंगबाजी

मेवाड़ में इस दिन पतंगें उडानें की परम्परा है। इसको लेकर बाजार में पतंगों की दुकानें सज गई हैं। वही पतंगबाजों, बच्चों व बड़ों में पर्व को लेकर उत्साह दिखने लगा है। जानकारी के अनुसार पर्व की तैयारी में अभी से युवा और उनके परिजन जुटे हुए है। शहर के आसपास मनाये जाने वाले इस पर्व पर विशेष रूप से शहर के परकोटे में खूब पतंगबाजी होती है।

इस दिन कैसे करे पूजा ?

सबसे पहले सुबह उठकर नहाना चाहिए। फिर घर में दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए। उसके बाद भगवान विष्णु को गंगा जल से अभिषेक कर उन्हें फूल और तुलसी की पत्तियां चढ़ाना चाहिए। भगवान विष्णु को उसके बाद सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने के बाद -आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी चाहिए। अंतिम में भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए।


Advertisement