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Skand Shashthi 2024: आज है स्कंद षष्ठी का व्रत, जाने इसका महत्व और पूजन विधि

जयपुर। भगवान शिव और देवी पार्वती के बेटे कार्तिकेय की पूजा हर महीने शुक्ल की षष्ठी तिथि को की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक आषाढ़ के महीने में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी का अधिक महत्व है। स्कंद षष्ठी जिसे षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह व्रत 11 जुलाई को […]

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Skand Shashthi 2024: Today is Skand Shashthi fast, know its importance and method of worship
  • July 11, 2024 11:40 am IST, Updated 8 months ago

जयपुर। भगवान शिव और देवी पार्वती के बेटे कार्तिकेय की पूजा हर महीने शुक्ल की षष्ठी तिथि को की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक आषाढ़ के महीने में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी का अधिक महत्व है। स्कंद षष्ठी जिसे षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह व्रत 11 जुलाई को रखा गया है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

स्कंद षष्ठी की पूजन विधि

दक्षिण भारत में पूजे जाने वाले मुख्य देवाताओं में से एक भगवान कार्तिकेय है। जो माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है। भगवान स्कंद शक्ति के अद्धदेव माने जाते है। कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, स्कंद और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापित कहा जाता है। स्कंद षष्ठी पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन ब्रह्मा मुहूर्त में सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनने चाहिए। पूजा स्थल पर भगवान कार्तिकेय को फल, फूल, मिठाई और जल अर्पित करना चाहिए। षष्ठी व्रत के दिन उपवास रखकर षष्ठी व्रत की कथा सुननी चाहिए। इस दिन मांस,शराब, प्याज और लहसुन से परहेज करना चाहिए।

स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद षष्ठी में पुराण के नारद-नारायण संवाद में संतान प्राप्ति और संतान पीड़ाओं जैसी समस्याओं को दूर करने वाले इस उपवास का विधान बताया गया है। इस उपवास को रखने से संतान और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय का यह उपवास करने से दुश्मनों पर जीत हासिल होती है। माना जाता है कि इस दिन उपवास करने से लोगों की जिंदगी से परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है। पुराणों के मुताबिक स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आखों की ज्योति की प्राप्ति होती है।


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