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राजस्थान: उड़ते हुए ताबूत पर लगी रोक, इससे भारतीय वायु सेना को नुकसान!

जयपुर। भारतीय वायु सेना ने मिग-21 के सारे लड़ाकू विमान पर उड़ने से रोक लगा दी है. 8 मई को राजस्थान में मिग-21 क्रैश घटना के बाद विमान की पूरी जांच हो रही है. तब तक ले लिए फाइटर जेट्स को ग्राउंडेड रखने का फैसला लिया गया है. शनिवार को लिया फैसला आपको बता दें […]

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Mig-21 Will Be Grounded Untill the Inspection Of Crash
  • May 21, 2023 1:59 am IST, Updated 2 years ago

जयपुर। भारतीय वायु सेना ने मिग-21 के सारे लड़ाकू विमान पर उड़ने से रोक लगा दी है. 8 मई को राजस्थान में मिग-21 क्रैश घटना के बाद विमान की पूरी जांच हो रही है. तब तक ले लिए फाइटर जेट्स को ग्राउंडेड रखने का फैसला लिया गया है.

शनिवार को लिया फैसला

आपको बता दें कि राजस्थान के हनुमानगढ़ में मिग-21 क्रैश हो गया था. इस घटना में तीन महिलाओं की मौत हो गई थी. 20 मई यानी शनिवार को एयरफोर्स के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि हादसे के कारणों का पता लगने तक मिग विमान उड़ान नहीं भरेंगे। जानकारी के मुताबिक एयरफोर्स में मिग -21 की 3 स्क्वाड्रन हैं। बता दें कि हर स्क्वाड्रन में 16 से 18 एयरक्राफ्ट होते हैं. इसका मतलब लगभग 50 मिग-21 सर्विस में हैं. इन्हे 2025 तक रिटायर कर दिया जाएगा। भारतीय वायु सेना के पास कुल 31 कॉम्बेट स्क्वाड्रन है.

सभी मिग-21 को ग्राउंडेड रखना है जोखिम

भारतीय सेना के अनुसार चीन या पकिस्तान से युद्ध अगर होता है तो दोनों ही देशों की वायु सेना का सामना करना पड़ सकता है. यही कारण है कि वायुसेना में लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वाड्रन रखना तय हुआ है. एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते है. लेकिन मिग-21 के लगातार क्रैश होने और नए विमान खरीदने में नाकामी के कारण वायु सेना 32 स्क्वाड्रन से ही काम चला रही है. इनमें मिग-21 की 3 स्क्वाड्रन हैं. इन्ही स्क्वाड्रन की उड़ान पर रोक लगा दी गई है. जैसी वजह से अचानक वायुसेना का शक्ति संतुलन बिगड़ गया है.

सुपरसोनिक फाइटर है मिग-21

मिग-21 एक सिंगल इंजन और सिंगल सीट वाला मल्टी रोल फाइटर विमान है। यह 1963 में इंटरसेप्टर विमान के रूप में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। अगले कुछ सालों में इसे अटैक विशेषताओं के साथ अपग्रेड किया गया था।

विडो मेकर के नाम से बदनाम

बता दें कि 16 महीने में मिग-21 सात बार क्रैश हुआ है. जिसमें राजस्थान में सबसे ज्यादा बार क्रैश हुआ है. भारतीय वायु सेना मिग-21 के सेफ्टी रिकॉर्ड बेहद खराब होने के कारण इसे SU-30 और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) जैसे अन्य सक्षम विमानों से बदल रही है। वायुसेना में MiG अब तक इसलिए है क्योंकि इस परिवर्तन में देरी हुई है। 1963 के बाद से भारतीय वायु सेना को विभिन्न श्रेणी के 872 मिग फाइटर प्लेन मिल चुके हैं। इनमें से करीब 500 फाइटर जेट क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में 200 से ज्यादा पायलट्स व 56 आम लोगों को जान गंवानी पड़ी। इतनी तादाद में हादसों का शिकार होने के कारण Mig-21 को उड़ता ताबूत और विडो मेकर के नाम से भी जाना जाता है।


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