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पूर्वे केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास का निधन, राजनितिक गलियारे में पसरा मातम

जयपुर। राजस्थान की पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास का गुरुवार शाम निधन हो गया। गिरिजा व्यास के निधन से राजनीतिक गलियारों में मातम पसरा है। वे मेवाड़ की पहली ऐसा नेता थीं, जो केंद्रीय मंत्री के पद पर पहुंचीं। गौर करने वाली बात यह है कि गणगौर पूजा के दौरान वह 90-95 प्रतिशत तक जल […]

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Girija Vyas passed away
  • May 2, 2025 10:39 am IST, Updated 2 months ago

जयपुर। राजस्थान की पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास का गुरुवार शाम निधन हो गया। गिरिजा व्यास के निधन से राजनीतिक गलियारों में मातम पसरा है। वे मेवाड़ की पहली ऐसा नेता थीं, जो केंद्रीय मंत्री के पद पर पहुंचीं। गौर करने वाली बात यह है कि गणगौर पूजा के दौरान वह 90-95 प्रतिशत तक जल चुकी थी। जिसके बाद उन्होंने इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

श्रद्धांजलि देने पहुंचे कई बड़े नेता

वे एक माह तक जिंदगी और मौत के बीच जूझती रहीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास की पार्थिव शरीर अहमदाबाद से उदयपुर लाया गया। अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को दैत्य मगरी आवास पर रखा गया है। लोग श्रद्धाजंजिल देने के लिए पहुंचने लगे हैं। उनके आखिरी दर्शन के लिए कांग्रेस के कई वरिष्ठ पहुंचे हैं। प्रदेश के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर पहुंचे हैं।

सीएम भजनलाल ने जताया दुख

पूर्वे केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास के निधन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा ‘पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास के निधन की खबर अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति दें। साथ ही शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहन करने की सक्षता प्रदान करें।’ वहीं, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री के जाने का दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा ‘पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ गिरिजा व्यास का निधन हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है। उन्होंने राजनीति, शिक्षा और समाज सेवा में अपना अहम योगदान दिया था। उनका इस तरह एक हादसे का शिकार होकर चले हम सभी के लिए बड़े दुख की बात है।’

करियर की शुरूआत 1985 से

गिरिजा व्यास ने राजनीति में पहला कदम 1985 में रखा था, जब वह विधायक बनी थी। 1991 में वह सांसद बनी। उन्हें कांग्रेस पार्टी के राज में सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बनाया गया। वे दो बार सांसद और राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी थीं। बतौर प्रोफेसर वे 19 मई 2001 को लौटी और फिर स्वेच्छिक रिटायरमेंट ले ली। साल 2001 से 2004 तक वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं।

2005 में महिला आयोग की अध्यक्ष

साल 2005 में वह 5वें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष बनीं। 2011 तक आयोग की अध्यक्ष के पद पर कायम रहीं। साल 2009 में चित्तौड़गढ़ से 15वीं लोकसभा की सदस्य चुनी गईं। 2018 में उदयपुर से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाई।


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