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Rajasthan Election 2023 : इन दो विधानसभा सीटों में भाजपा का पूरा जोर, क्या इस बार खिलेगा कमल?

जयपुर। राजस्थान में आगामी 23 नवंबर को वोटिंग होगा। आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सीकर जिले में कांग्रेस के गढ़ दांतारामगढ़ और फतेहपुर सीट पर अपनी चुनावी इज्जत बनाए रखने के लिए , चुनाव घोषणा के दिन जारी अपने उम्मीदवार की पहली लिस्ट में ही इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी […]

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BJP's full emphasis on these two assembly seats
  • October 10, 2023 10:08 am IST, Updated 1 year ago

जयपुर। राजस्थान में आगामी 23 नवंबर को वोटिंग होगा। आगामी होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सीकर जिले में कांग्रेस के गढ़ दांतारामगढ़ और फतेहपुर सीट पर अपनी चुनावी इज्जत बनाए रखने के लिए , चुनाव घोषणा के दिन जारी अपने उम्मीदवार की पहली लिस्ट में ही इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार दिए गए हैं। वहीं फतेहपुर से श्रवण चौधरी और दांतारामगढ़ से गजानंद कुमावत है । हालांकि इस बार चुनाव में सीकर में भाजपा और जननायक जनता पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चा थी, लेकिन भाजपा ने उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में जाहिर कर दिया कि बिना गठबंधन के ही वह कांग्रेस के इन सीटों पर फतेह करने उतरेगी।

सर्वाधिक सात बार चुनाव जीते

आपको बता दें कि भाजपा दांतारामगढ़ विधानसभा सीट पर आज तक जीत हासिल नहीं कर पाई है। दांतारामगढ़ में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सर्वाधिक नौ बार बाजी मारी है, जिसमें लगभग एक ही परिवार का कब्जा देखा गया है। इस क्षेत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण सिंह सर्वाधिक सात बार चुनाव जीते है, जबकि उनका बेटा वीरेन्द्र सिंह यहां से मौजूदा कांग्रेस विधायक हैं। इनसे पहले वर्ष 1962 में कांग्रेस के जगन सिंह ने यहां से चुनाव जीता। नारायण सिंह ने यहां से वर्ष 1972, 1980, 1985, 1993, 1998, 2003 एवं 2013 से विधायक रहे। दांतारामगढ़ से पहले चुनाव में मुख्यमंत्री रहे भैंरोंसिंह शेखावत ने जनसंघ उम्मीदवार में चुनाव जीता जबकि मदन सिंह ने यहां से अलग-अलग पार्टी के टिकट पर तीन बार चुनाव जीता।

स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी

आपको बता दें कि उन्होंने वर्ष 1957 के चुनाव में अखिल भारतीय रामराज्य परिषद, 1967 में जनसंघ एवं 1977 में स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रुप में चुनाव जीता। इनके अलावा दांतारामगढ़ से वर्ष 1980 के चुनाव में जनता दल के अजय सिंह चौटाला एवं वर्ष 2008 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अमराराम चुनाव जीत चुके हैं। फतेहपुर में भाजपा का एक बार ही कमल खिल पाया है। वर्ष 1980 में भाजपा के गठन के बाद फतेहपुर विधानसभा सीट पर वर्ष 1993 में हुए चुनाव में भाजपा के बनवारी लाल भिंडा ने चुनाव जीता था। इनसे पहले और बाद में आज तक फतेहपुर में भाजपा अपनी जीत दर्ज नहीं करा पाई है।

चुनाव हार गई

वहीं वर्ष 2018 के चुनाव में तो भाजपा प्रत्याशी सुनीता मात्र 900 मतों के अंतर से ही चुनाव हार गई थी। इस बार चुनाव जीतने के लिए भाजपा और जेजेपी के बीच गठबंधन की चर्चा काफी गर्म रही, लेकिन सोमवार को भाजपा ने फतेहपुर से श्रवण चौधरी को उम्मीदवार घोषित कर इन चर्चाओं पर भी विराम लगा दिया। इसी तरह दांतारामगढ़ सीट पर भाजपा ने गजानंद कुमावत को टिकट देकर एक बार फिर कुमावत पर दांव खेला है। गत दो चुनाव से इस जाति के वरिष्ठ नेता हरीश कुमावत को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया और वह मात्र आठ सौ-नौ सौ मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे।

चुनाव मैदान में उतारा

आपको बता दें कि इन दो सीटों के अलावा भाजपा ने लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र से पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया को चुनाव मैदान में उतारा हैं। जहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने कड़ा मुकाबला हो सकता है। हालांकि अभी कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों को घोषणा नहीं हुई है।


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