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राजस्थान में गुलाल गोटे से खेलते है होली, क्या है यह रंगों की गेंद

जयपुर। आज होलिका दहन की जाएगी। होलिका दहन के बाद होली का त्योहार मनाया जाएगा। होली के त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इसे हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। रंगों का यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को आता है। होली का त्योहार पूरे देश […]

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Gulal Gote
  • March 13, 2025 8:07 am IST, Updated 1 day ago

जयपुर। आज होलिका दहन की जाएगी। होलिका दहन के बाद होली का त्योहार मनाया जाएगा। होली के त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इसे हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। रंगों का यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को आता है। होली का त्योहार पूरे देश में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

राजस्थान की अनोखी परंपरा

इस दौरान लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की बधाई देते हैं। होली के दिन लोगों के घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। आमतौर पर होली खेलने के लिए लोग आर्टिफिशियल रंग का इस्तेमाल करते हैं, जो कई मायनों में हानिकारक होता है। आप बाजार से कितने की हर्बल रंग क्यों नाखऱीद, लेकिन इसमें मिलावट की संभावना रहती ही है। देशभर में होली खेलने की कई सारी परंपराएं मशहूर हैं। इन्हीं में से एक जयपुर का मशहूर गुलाल गोटा। गुलाल गोटा होली मनाने का एक अनोखा तरीका है। आइए जानते हैं इस अनूठी परंपरा के बारे में।

लाख से तैयार होती है गुलाल की गेंद

गुलाल गोटा लाख से बनी एक छोटी सी गेंद होती है। इसमें अलग-अलग रंग के सूखे गुलाल को भरे जाते हैं। गुलाल से भरे जाने पर इसका वजन लगभग 20 ग्राम होता है। होली के दिन लोग इन्हीं गेंदों को एक-दूसरे पर फेंकते हैं, जो टकराने पर टूट जाती है और यह रंग लोगों के ऊपर गिरता है। जयपुर में होली खेलने की यह परंपरा करीबन 300 साल पुरानी है। गुलाल गोटे से होली खेलने की यह परंपरा राजा-महाराजाओं के समय से चली आ रही है। यहां कुछ मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से गुलाल गोटे को बनाते आ रहे हैं।

शाही परिवारों मे खेली जाती है गोटा होली

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, जिसमें स्थानीय कारीगर इन गुलाल गोटे को बनाते नजर आ रहे हैं। यूं तो गुलाल गोटे से होली खेलने की रस्म शाही परिवारों से शुरू हुई थी और तब से लेकर आज तक राजस्थान में इसी से होली खेली जाती है। खास बात यह है जयपुर में तैयार होने वाले ये इन गुलाल गोटे की मांग केवल देश ही नहीं, विदेश में भी काफी ज्यादा है। मथुरा-वृंदावन से लेकर ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और सिंगापुर तक लोग इसे काफी पसंद करते हैं।

इस तरह बनता है गुलाल गोटा

इन्हें बनाने वाले स्थानीय कारीगरों के मुताबिक गुलाल गोटे को बनाने के लिए प्राकृतिक लाख का उपयोग किया जाता है। सबसे पहले लाख को आग में तपाकर पिघलाया जाता है। पिघले हुए इस लाख को छोटी-छोटी गेंदों का आकार दिया जाता है। इसके बाद इन गेंदों को ठंडा करने के लिए पानी में डाला जाता है। ठंडा होने के बाद इन गेंदों में अलग-अलग रंगों के गुलाल भरे जाता हैं और फिर इन्हें सील कर दिया जाता है।

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