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Health Tips: पॉल्यूशन से फेफड़ा, किडनी ही नहीं दिमाग पर भी हो रहा असर, जानें इससे जुड़ी शुरुआती लक्षण

जयपुर। देशभर में फेस्टिव सीजन का सिलसिला जारी है। ऐसे में दीपावली के आतिशबाजी से पहले ही वातावरण पूर्ण रूप से दूषित हो गया है। इन दोनों देश के कुछ राज्यों की हवा इतनी ज्यादा जहरीले हो गई है कि वहां रह रहे लोगों का दम घुट रहा है। अगर बात करें देश की राजधानी […]

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Pollution is not only affecting the lungs and kidneys but also the brain
  • November 7, 2023 12:18 pm IST, Updated 1 year ago

जयपुर। देशभर में फेस्टिव सीजन का सिलसिला जारी है। ऐसे में दीपावली के आतिशबाजी से पहले ही वातावरण पूर्ण रूप से दूषित हो गया है। इन दोनों देश के कुछ राज्यों की हवा इतनी ज्यादा जहरीले हो गई है कि वहां रह रहे लोगों का दम घुट रहा है। अगर बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां की वायु गुणवत्ता पूर्ण रूप से अधिक खराब श्रेणी में पहुंच चुका है, जिस वजह से राजधानी में रहने वाले लोग या दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों को सांस संबंधित दिक्कते बढ़ रही है। वहीं हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि एयर पॉल्यूशन इंसान के सभी बॉडी पार्ट के लिए नुकसानदेह है।

प्रदूषण से दिमागी स्थिती भी हो रही खराब

बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि हवा में जहरीली गैस घुल जाने से वायु की गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच चुकी है। इस वजह से फेफड़ों की बीमारी ही नहीं बल्कि दिमाग, शरीर के अन्य अंग और दिल की बीमारी का भी खतरा बढ़ रहा है। तमाम सूत्रों के मुताबिक बता दें कि पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉक्टर नीरज गुप्ता ने बताया कि बुजुर्गों, स्कूल जाने वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इस वायु प्रदूषण की वजह से कई तरह की दिक्कतें बढ़ सकती है। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण इन वर्गों के लोगों को कई तरह की शारीरिक मुश्किलें हो सकती है जैसे- चिड़चिड़ापन, कमजोरी, भ्रम, सर दर्द

राजधानी दिल्ली को माना जाता है गैस चैंबर

वायु प्रदूषण के दौरान वायु में जहरीली गैसों की मात्रा अधिक बढ़ने लगती है। खासकर हवा में न्यूरोकॉग्निटिव ज्यादा बढ़ जाता है। इस कारण इंसान का नर्वस सिस्टम बुरी तरह से प्रभावित होता है। इसलिए ऐसा मानना बिल्कुल सही है कि दिल्ली और दिल्ली एनसीआर की हालत एक गैस चैंबर जैसी ही बन जाती है। हालंकि यह शब्द बिल्कुल सही है क्योंकि वायु में कई सारे ऐसे हानिकारक गैस घुल चुकी है जो सेहत के लिए अधिक नुकसानदायक साबित हो रहा है। एक स्टडी के मुताबिक यह बताया गया की स्कूल जाने वाले बच्चों के ऊपर एयर पॉल्यूशन का अधिक असर पड़ रहा है। इस स्टडी में पाया गया कि हवा की गुणवत्ता खराब होने से सीधा असर बच्चों के दिमाग पर पड़ता है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट बताते है कि फिलहाल इस हालात से बचने के लिए एक ही उपाय है कि आप हवा के संपर्क में अधिक न जाए, अत्यंत जरूरी आने पर ही अपने घर से बाहर निकले।

बीमार व्यक्तियों की स्थिति बिगड़ सकती है

बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण जो लोग पहले से बीमार हैं जैसे किसी को अस्थमा तो किसी को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, तो कोई इस्केमिक दिल की बीमारी से ग्रसित है तो ऐसे लोगों को इस भयावह स्थिति में अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे बीमार मरीजों को अधिक से अधिक घर में रहना चाहिए। बात करें अगर राजधानी दिल्ली की तो रविवार को लगातार छठे दिन भी यहां की हवा और दूषित होती हुई प्रतीत हुई। बता दें कि यहां हवा का लेवल दिन पर दिन और अधिक खराब होता जा रहा है। खासकर रात के समय शांत हवाओं के वजह से प्रदूषण का लेवल एक बार फिर गंभीर लेवल पर जा पहुंचा है।

ठंड में हवा जहरीली

हर साल सर्दियों के मौसम में हवा की गुणवत्ता अधिक खराब स्तर पर पहुंच जाती है। इस विषय पर बहुत चर्चा होती है लेकिन कोई ठोस स्थाई इंतजाम नहीं की जाती है। इसके साथ तमाम डेटा के आंकड़ों से पता चलता है कि पूरे वर्ष में 50% से ज्यादा दिनों में वायु की गुणवत्ता खराब ही रहती है। जिस कारण लोगों को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सर्दियों के मौसम में यह स्थिति और अधिक बढ़ जाता है और लोगों को लंबे समय तक खांसी, सांस लेने में दिक्कत, गले में इन्फेक्शन और सीने में जकड़न के साथ-साथ चिंता, भ्रम और चिड़चिड़ापन की स्थिति सामने आती है। वहीं बता दें कि वायु प्रदूषण हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा संकट है, इसे तत्कालित तौर पर हमें कम करने की अत्यंत जरूरत है।

बढ़ते प्रदूषण में कुछ पौधे का नाम हम आपको बताएंगे जो पॉल्यूशन के घुटन से बचा सकता है –

आपको बता दें कि आईआईटी कानपुर के रिसर्च के अनुसार बताया गया है कि कुछ पौधे ऐसे हैं जो आसानी से हमारे बीच उपलब्ध है और उन पौधों के वजह से हम एयर पॉल्यूशन को कम कर सकते हैं। तो आईए जानते हैं ऐसे कुछ पौधों के बारे में

एरिका पाम– एरिका पाम एक ऐसा प्लांट है जो ऑक्सीजन देता है साथ में हवा में घुली जहरीले गैस को कम करने में अहम भूमिका निभाती है।

स्नेक प्लांट – यह एक ऐसा प्लांट है जो दिन में ऑक्सीजन देता है और रात के समय कार्बन डाइऑक्साइड ऑब्जर्व करता है। इसे हम अपने बेडरूम में भी लगते हैं, अक्सर लोग इस प्लांट को बेडरूम प्लांट भी कहते हैं ।

मनी प्लांट– यह एक ऐसा पौधा है जो पॉल्यूशन को कम करता है, फ्रेश एयर को रिलीज करता है। इसके साथ ही यह पौधा टॉक्सिक पदार्थ को खत्म करता है। इस तरह से अगर हम अपने घरों में ऐसे पौधों का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ हद तक हम वायु प्रदूषण के प्रकोप से बच सकते हैं।


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