जयपुर। बाघ अपने सुरक्षित स्थान जंगल में ही सुरक्षित नहीं है। दरअसल सवाई माधोपुर के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में एक साल में 8 बाघ-बाघिन और शावकों की मौत हुई है। वहीं 12 से ज्यादा बाघ गायब बताये जा रहे हैं। बता दें कि ये आंकड़ें 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक के हैं। […]
जयपुर। बाघ अपने सुरक्षित स्थान जंगल में ही सुरक्षित नहीं है। दरअसल सवाई माधोपुर के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में एक साल में 8 बाघ-बाघिन और शावकों की मौत हुई है। वहीं 12 से ज्यादा बाघ गायब बताये जा रहे हैं। बता दें कि ये आंकड़ें 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक के हैं। जिन 8 टाइगर्स की मौत हुई है उसमें 2 बाघ, 2 बाघिन और 4 शावक शामिल हैं।
वहीं गायब हुए बाघों का अब तक पता नहीं चल पाया है। बाघ-बाघिनों की मौत और लापता होने की वजह वन अधिकारियों का टाइगर मॉनिटरिंग, ट्रैकिंग और प्रोटेक्शन के स्थान पर टूरिज्म को प्राथमिकता देना बताया जा रहा है। साथ ही वन विभाग के अधिकारियों की खींचतान का असर बाघ संरक्षण पर पड़ रहा है। साल 2023 में बाघिन T-114 और उसके शावक की मौत का कारण वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही ही बताया गया।