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Electoral Bond : अशोक गहलोत ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर BJP पर कसा तंज, Supreme Court के फैसले का किया स्वागत

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर भारत के उच्च न्यायलय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। इसके साथ ही चुनावी बॉन्ड के मुद्दे को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर तंज कसा है। गलहोत ने पोस्ट में लिखा… बता दें […]

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Ashok Gehlot takes a jibe at BJP on Electoral Bond
  • March 15, 2024 5:20 am IST, Updated 12 months ago

जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर भारत के उच्च न्यायलय के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। इसके साथ ही चुनावी बॉन्ड के मुद्दे को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर तंज कसा है।

गलहोत ने पोस्ट में लिखा…

बता दें कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता में हुए फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सराहना की है। गहलोत ने इससे पहले भी चुनावी बॉन्ड मामले में कई बार सवाल किए थे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया साइट “X ” पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि Electoral Bond ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का कार्य किया है। इसमें राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी भाजपा पार्टी को सीधी सीधे लाभ मिला है।

गहलोत ने आगे लिखा…

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गहलोत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आगे लिखा कि चुनावी बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया है। इसने पॉलटिकल चंदे की टारस्परेन्सी को समाप्त किया है। इसके साथ पूर्व CM गहलोत ने लिखा कि मैंने बार-बार कहा कि चुनावी बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है। इस कड़ी में उन्होंने कहा आज उच्च न्यायलय के फैसले ने यह साबित कर दिया कि चुनावी बॉन्ड NDA सरकार का एक बड़ा घोटाला है। यह फैसला देर से आया पर देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद ही जरूरी फैसला है। सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद।

जानें Supreme Court ने क्या दिया फैसला

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की वैधता के विरोध में दायर याचिकाओं पर उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन और असंवैधानिक बताया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए इसे रद्द करना पड़ेगा। उच्च न्यायालय ने सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार विमर्श करने को कहा है। उच्च न्यायालय ने योजना की आलोचना करते हुए कहा कि पॉलटिकल पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना अहम जरूरी है। जो सूचना के अधिकार का उल्लंघन भी है।

भाजपा को मिला अधिक चंदा

इलेक्टोरल बॉन्ड पर जारी हुई आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए अन्य पार्टियों से काफी अधिक चंदा मिला है। बीजेपी को 2022-23 में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से लगभग 1300 करोड़ रुपये मिले। जबकि कांग्रेस पार्टी को बीजेपी से सात गुना कम मिला है। Election Commission को दी गई पार्टी की सालाना ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में बीजेपी को कुल 2120 करोड़ रुपये मिले जिसमें से 61 प्रतिशत इलेक्टोरल बॉन्ड से प्राप्त हुए।

क्या हैं इलेक्टोरल बॉन्ड ?

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को अधिसूचित किया था। इस योजना के मुताबकि, इलेक्टोरल बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित किसी भी इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। ऐसे पॉलिटिकल पार्टी इलेक्टोरल बॉन्ड के लिए प्राप्त करने के दायरे में आते हैं जिन्हें पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिले हों।


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