जयपुर : भारतीय जनता पार्टी (BJP ) के दिग्गज नेता और पार्टी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी आज यानी रविवार (नौ जून, 2024) की शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ लेंगे. बता दें कि रिकॉर्ड ओथ सेरेमनी के जरिए वह लगातार तीसरी बार बहुमत […]
जयपुर : भारतीय जनता पार्टी (BJP ) के दिग्गज नेता और पार्टी के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के संसदीय दल के नेता नरेंद्र मोदी आज यानी रविवार (नौ जून, 2024) की शाम 6:30 बजे प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ लेंगे. बता दें कि रिकॉर्ड ओथ सेरेमनी के जरिए वह लगातार तीसरी बार बहुमत की सरकार वाले दूसरे प्रधानमंत्री (पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद) बन जाएंगे। आज दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पीएम पद की सपथ नरेंद्र मोदी को दिलाएंगी। तो आइए ऐसे में जानते हैं, क्या होता है शपथ के मायने और क्यों दिलाई जाती हैं सपथ। साथ ही दूसरे देशों में इसको लेकर क्या है परंपरा।
भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। जबकि पीएम सरकार का सर्वेसर्वा होता है। बता दें कि संविधान की तीसरी अनुसूची में लिखे ड्यूटी के जरिए प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई जाती है. ऐसे तो इसे दिलाने का कोई खास कारण नहीं बताया गया है। लेकिन इसे एक तरह से महत्वपूर्ण प्रक्रिया बताई जाती है. जानकारों के अनुसार, शपथ प्रधानमंत्री को नैतिक और कानूनी रूप से वचनबद्ध कर के रखती है.
सबसे अहम बात है कि यह शपथ संसद के मेंबर्स, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाईकोर्ट के जजों और सीएजी को भी दिलाई जाती है. हालांकि, उन्हें मात्र एक बार ही सपथ लेनी होती है लेकिन प्रधानमंत्री को इस सपथ को दो बार लेना होता हैं। बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री को पहले पद ग्रहण करने के लिए भी शपथ लेना होता है, जो सार्वजनकि तौर पर होता है, जबकि उनकी दूसरी शपथ गोपनीयता तरीके से होती है।
पहली शपथ : नरेंद्र मोदी पहली शपथ 7 अक्तूबर 2001 को गुजरात के सीएम के तौर पर लिए, वह तब 51 वर्ष के थे.
दूसरीः 22 दिसंबर 2002 को. वह तब गुजरात के सीएम बने थे. वह तब 52 साल थे.
तीसरीः 25 दिसंबर 2007 को 57 वर्ष के नरेंद्र मोदी ने नतीजे के 10 दिन बाद गुजरात मुख्यमंत्री की शपथ ली थी.
चौथीः 26 दिसंबर 2012 को. वह तब 62 वर्ष के थे और गुजरात मुख्यमंत्री बने थे.
पांचवींः 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. वह तब 64 साल के थे.
छठीः 30 मई 2019 को दूसरी बार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की सपथ ली थी. वह तब 69 वर्ष के थे.
जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप इतिहास के पन्नों को एक बार पलटकर देखें तो शपथ का रेफरेंस आपको रामायण और महाभारत जैसे महाग्रंथों में भी मिल जाएगा, ग्रंथों में आप देख सकते हैं कि सपथ के लिए किसी आदर्श या फिर प्रकृति को साक्षी बनाया जाता था। बता दें कि 1873 में ब्रिटिश सरकार ने ‘इंडियन कोर्ट एक्ट’ लागू किया था, जिस एक्ट में धार्मिक किताबों पर शपथ लेने की बात लिखी थी.
अगर संवैधानिक पद पर आसीन कोई व्यक्ति शपथ की गोपनीयता से जुड़ी सीमा का उल्लंघन करता है तब उसे महाभियोग का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, आमतौर पर कोई आपराधिक केस नहीं दर्ज किया जाता पर अगर गबन शामिल है तब क्रिमिनल केस हो सकता है.
इंडिया में पीएम पद की शपथ देश की महामहिम राष्ट्रपति दिलातें हैं। हालांकि विदेशों में पीएम पद की शपथ को लेकर अलग-अलग परंपराएं हैं। ब्रिटेन की बात करें तो यहां पीएम सबसे पहले बकिंघम पैलेस जाते हैं. वहां वो महारानी से भेंट करते है, जिसके बाद उन्हें सरकार बनाने का न्योता मिलता है. अगर बात जापान की हो तो वहां प्रधानमंत्री सम्राट के सामने पीएम औपचारिक तौर पर शपथ लेते हैं. वहां इसे धार्मिक और सांस्कृतिक रस्म के तौर पर देखा जाता है. जर्मनी में चांसलर को संसद के भीतर अध्यक्ष के सामने शपथ दिलाई जाती है.