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RAJASTHAN: क्या राजस्थान से अलग होकर बनेगा मरुप्रदेश, जानिए पूरी खबर

JAIPUR। राजस्थान में मरुप्रदेश बनने की चर्चा हो रही है। नए जिलों की घोषणा के बाद अब राज्य के कई क्षेत्रों में इसके निर्माण की चर्चा हो रही है। मरुप्रदेश निर्माण की चर्चा आपको बता दें कि कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में 19 जिलों की घोषणा की थी। जिसके […]

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Will Rajasthan Divide into Two parts
  • March 23, 2023 3:00 am IST, Updated 2 years ago

JAIPUR। राजस्थान में मरुप्रदेश बनने की चर्चा हो रही है। नए जिलों की घोषणा के बाद अब राज्य के कई क्षेत्रों में इसके निर्माण की चर्चा हो रही है।

मरुप्रदेश निर्माण की चर्चा

आपको बता दें कि कुछ दिनों पूर्व राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में 19 जिलों की घोषणा की थी। जिसके उपरांत लोग खुश भी दिखाई दिए। लेकिन प्रदेश में इन दिनों यह चर्चा है कि क्या अब पूर्वी स्थान से अलग पश्चिमी राजस्थान का अलग हिस्सा होगा। जानकारी के मुताबिक बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर समेत पाली का एक अलग राज्य बनाया जाएगा। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत या उनकी सरकार की ओर से कोई बयान सुनने को नहीं मिला है। जानकारी के मुताबिक जिलों की संख्या 50 होने के बाद इस विषय पर बातचीत बढ़ गई है.

मरुप्रदेश बनने की संभावना

दरअसल राजस्थान में कई क्षेत्रों के लोगों ने समय-समय पर मिरुप्रदेश की मांग उठाई है। वहीं ये बताया जाता है कि अरावली के पूर्व और पश्चिम की परिस्थितियां बिलकुल अलग है। बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर जैसे रेगिस्तान के इलाके में जनसंख्या कम है जिसकी वजह से औद्योगिक विकास कम हो पता है. जमीन उपजाऊ ना होने की वजह से खेती अच्छे से नहीं हो पाती। वहीं पूर्वी हिस्सा जिसमे कोटा संभाग, उदयपुर संभाग, भरतपुर संभाग समेत अजमेर आता है, इन क्षेत्रों में जमीन उपजाऊ होती है। यहां जनसंख्या का घनत्व भी ज्यादा है. पशुपालन की दृष्टि से भी ये क्षेत्र अच्छे माने जाते है. प्रति व्यक्ति आय की बात करें तो यहां प्रति व्यक्ति आय बाड़मेर, जैसेलमेर जैसे इलाकों से ज्यादा है. ऐसे में वर्तमान 33 जिलों में से 12 जिलों को अलग कर एक नए प्रदेश की मांग उठ रही है.

नया राज्य बनाने की प्रक्रिया

आपको बता दें कि नया राज्य का निर्माण यदि करना हो तो राज्य और केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है. नए राज्यों को बनाने की शक्ति संसद के पास होती है. सबसे पहले राज्य विधानसभा से इसका प्रस्ताव पारित होता है फिर वह प्रस्ताव केंद्र के पास जाता है, अगर दोनों सदनों से इसकी मंजूरी मिल जाती है तो उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने पर नया राज्य का गठन संभव होता है.


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