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पोप फ्रांसिस के निधन पर पीएम मोदी ने जताया दुख, वेटिकन में 9 दिन का शोक

जयपुर। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज यानी 21 अप्रैल को निधन हो गया है। उन्होंने 88 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। वह बीते दिनों गंभीर रूप से बीमार थे, जिस वजह से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी […]

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PM Modi expressed grief over the death of Pope Francis
  • April 21, 2025 11:20 am IST, Updated 14 hours ago

जयपुर। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का आज यानी 21 अप्रैल को निधन हो गया है। उन्होंने 88 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। वह बीते दिनों गंभीर रूप से बीमार थे, जिस वजह से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। हाल ही में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। वेटिकन ने सोमवार को पोप फ्रांसिस के निधन की जानकारी दी।

फेफड़ों में निमोनिया की बीमारी

वेटिकन केकैमरलेंगो केविन फेरेल ने एक बयान जारी कर बताया कि आज सुबह 7:35 बजे रोम के बिशप, फ्रांसिस, पिता के घर लौट गए। उनका पूरा जीवन प्रभु यीशु और चर्च कार्डिनल की सेवा के लिए समर्पित था। फ्रांसिस फेफड़ों में निमोनिया की बीमारी से जूझ रहे थे। युवावस्था में उनके एक फेफड़े का हिस्सा निकाल दिया गया था। उन्हें फरवरी के महीने में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन के बाद पूरी दुनिया शोक में है। वेटिकन में 9 दिन का शोक घोषित कर दिया गया है।

पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर दुख जताया है। साथ ही उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘पोप फ्रांसिस के निधन से बहुत दुख हुआ। इस दुख की घड़ी में वैश्विक कैथोलिक समुदाय के प्रति मेरी संवेदना। पोप फ्रांसिस को हमेशा दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के रूप में याद किया जाएगा। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु यीशु मसीह के आदर्शों को अपनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया।

2013 में मिली पोप की उपाधि

उन्होंने गरीबों और जरूरतमंद की दिल से सेवा की। जो लोग पीड़ित थे, उनके लिए उन्होंने आशा की भावना जगाई। मैं उनके साथ अपनी मुलाकातों को याद करता हूं और समावेशी और सर्वांगीण विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से बहुत प्रेरित हुआ। भारत के लोगों के प्रति उनका स्नेह हमेशा याद किया जाएगा। उनकी आत्मा को ईश्वर की गोद में शांति मिले।’ पोप फ्रांसिस पहले लैटिन अमेरिकी धर्मगुरु थे, जो पोप के पद पर पहुंचे। उन्हें साल 2013 में पोप की उपाधि मिली थी।


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